टिहरी जिले के भिलंगना ब्लॉक की गोनगढ़ पट्टी में एक गांव हैं दयूल, यह गांव पौनाड़ा के पास पड़ता है। यहां स्थित है मां दुध्याडी देवी का मदिर जिसके बारे में कहा जाता है कि भगवती दुध्याड़ी अपने भक्तोँ को किसी भी प्रकार से दु:खी नहीं देख सकती। जो भी भक्त माता के पास अपनी फ़रियाद लेकर आता है वो अवश्य पूरी होती है।
एक समय की बात है हाट नाम के स्थान पर हटवाल नाम के दुष्ट बुद्दि वाले व्यक्ति का कब्जा था, वह दुष्ट क्षेत्र के सभी वर्ग के लोगोँ को प्रताड़ित करता रहता था। जिससे बचने के लिए लोगोँ ने भगवती दुध्याड़ी से मिन्नतें मांगी।
कहते हैं कि हटवाल की एक गाय थी वह प्रतिदिन जंगल में चरने के लिए जाती, तो एक भिकुले के पेड के नीचे (जहाँ पर आज मन्दिर स्थापित है ) जाती और खडी हो जाती, वहाँ उस गाय के थनो से दूध कि धारा स्वयं गिरने लगती थी।
कुछ समय बाद जब हटवाल को गाय के घर मे आकर दूध न देने का कारण पता चला तो उसने गाय को घर मे ही बंधवा दिया और उस पेड़ को कटवाकर अपने घर के खंभे बनवा दिये।
इस कारण भगवती ने अपना रौद्र रोप धारण कर हटवाल को समाप्त कर क्षेत्रवासियों को भयमुक्त कर दिया। जिससे प्रसन्न होकर क्षेत्रवासियो ने उसी वृक्ष के नीचे वाले स्थान पर मन्दिर बनाने का निश्चय किया। यह स्थान आज पौनाड़ा नाम के गाँव के पास दयूल नाम से प्रसिद्ध है।
यहां राणा जाति के व्यक्ति को भट्ट जाति के ब्राह्मण द्वारा त्रीफल व जनेऊ से दीक्षित कर भगवती कि पूजा के लिए नियुक्त किया जाता है। माता की कृपा ऐसी है कि जो कोई भी मां के द्वार पर आता है हमेशा सुखी जीवन पाता है। ')}