Raibaar UttarakhandRaibaar UttarakhandRaibaar Uttarakhand
  • Home
  • Uttarakhand News
  • Cricket Uttarakhand
  • Health News
  • Jobs
  • Home
  • Uttarakhand News
  • उत्तराखंड पर्यटन
  • उत्तराखंड मौसम
  • चारधाम यात्रा
  • Cricket Uttarakhand
  • राष्ट्रीय समाचार
  • हिलीवुड समाचार
  • Health News
Reading: चम्पावत के अन्नपूर्णा शिखर पर है मां पूर्णागिरि शक्तिपीठ ।
Share
Font ResizerAa
Font ResizerAa
Raibaar UttarakhandRaibaar Uttarakhand
  • Home
  • Uttarakhand News
  • उत्तराखंड पर्यटन
  • चारधाम यात्रा
Search
  • Home
  • Uttarakhand News
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधम सिंह नगर
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • उत्तराखंड पर्यटन
  • उत्तराखंड मौसम
  • चारधाम यात्रा
  • Cricket Uttarakhand
  • राष्ट्रीय समाचार
  • हिलीवुड समाचार
  • Health News
Follow US
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Donate
©2017 Raibaar Uttarakhand News Network. All Rights Reserved.
Raibaar Uttarakhand > Home Default > उत्तराखंड संस्कृति > उत्तराखंड इतिहास > चम्पावत के अन्नपूर्णा शिखर पर है मां पूर्णागिरि शक्तिपीठ ।
उत्तराखंड इतिहास

चम्पावत के अन्नपूर्णा शिखर पर है मां पूर्णागिरि शक्तिपीठ ।

June 5, 2020 1:35 pm
Share
3 Min Read
purnagiri temple
SHARE
https://raibaaruttarakhand.com/wp-content/uploads/2025/11/Video-60-sec-UKRajat-jayanti.mp4

ज़िला चम्पावत में अवस्थित पूर्णागिरी का मंदिर अन्नपूर्णा शिखर पर 4400 फुट की ऊँचाई पर है । कहा जाता है कि दक्ष प्रजापति की कन्या और शिव की अर्धांगिनी सती की नाभि का भाग यहाँ पर विष्णु चक्र से कट कर गिरा था ।

प्रतिवर्ष इस शक्ति पीठ की यात्रा करने आस्थावान श्रद्धालु कष्ट सहकर भी यहाँ आते हैं ।

सन् 1632 में कुमाऊं के राजा ज्ञान चंद के दरबार में गुजरात से पहुंचे श्रीचन्द्र तिवारी को इस देवी स्थल की महिमा स्वप्न में देखने पर उन्होंने यहा मूर्ति स्थापित कर इसे संस्थागत रूप दिया।

तभी से यहा पर पूजा अर्चना का कार्य तिवारी तथा उनके भांजों बल्हेडिया उर्फ पांडेय करते रहे हैं। कहा जाता है सच्चे मन से मा की उपासना करने पर मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं। टनकपुर से 22 किमी दूर शारदा नदी पर स्थित मां के दर्शनों को लाखों श्रद्धालु प्रतिवर्ष आते हैं।

जिस चोटी पर सती का नाभि प्रदेश गिरा था उस क्षेत्र के वृक्ष नहीं काटे जाते । कल कल करती सारदा नदी का द्रश्य अदभुत होता है।

sarda river
SARDA RIVER

मां पुर्णागिरी के दर्शन के लिऐ सबसे पहले टनकपुर पहुंचते हैं। टनकपुर के बाद ठुलीगाढ़ तक बस से तथा उसके बाद घासी की चढ़ाई चढ़ने के उपरान्त ही दर्शनार्थी यहाँ पहुँचते हैं । रास्ता अत्यन्त दुरुह और खतरनाक है । भैरव पहाड़ और रामबाड़ा जैसे रमणीक स्थलों से गुजरने के बाद पैदल यात्री अपने विश्राम स्थल टुन्नास पर पहुँचते हैं टुन्नास स्थान पर देवराज इन्द्र ने तपस्या की, ऐसी भी जनश्रुती है जहाँ भोजन पानी इत्यादि की व्यवस्थायों हैं । यहाँ के बाद बाँस की चढ़ाई प्रारम्भ होती है जो अब सीढियाँ बनने तथा लोहे के पाइप लगने से सुगम हो गयी है । मार्ग में पड़ने वाले सिद्ध बाबा मंदिर के दर्शन जरुरी हैं ।

रास्ते में चाय इत्यादि के खोमचे मेले के दिनों में लग जाते हैं । नागा साधु भी स्थान-स्थान पर डेरा जमाये मिलते हैं । झूठा मंदिर के नाम से ताँबे का एक विशाल मंदिर भी मार्ग में कोतूहल पैदा करता है ।

प्राचीन बह्मादेवी मंदिर, भीम द्वारा रोपित चीड़ वृक्ष, पांडव रसोई आदि भी नजदीक ही हैं । ठूलीगाड़ पूर्णागिरी यात्रा का पहला पड़ाव है ।

झूठे मंदिर से कुछ आगे चलकर काली देवी तथा महाकाल भैंरों वाला का प्राचीन स्थान है जिसकी स्थापना पूर्व कूर्मांचल नरेश राजा ज्ञानचंद के विद्वान दरबारी पंडित चंद्र त्रिपाठी ने की थी । मंदिर की पूजा का कार्य बिल्हागाँव के बल्हेडिया तथा तिहारी गाँव के त्रिपाठी सम्भालते हैं ।

वास्तव में पूर्णागिरी की यात्रा अपूर्व आस्था और रमणीक सौन्दर्य के कारण ही बार-बार श्रद्धालुओं और पर्यटकों को भी इस ओर आने को उत्साहित सा करती है । ')}

देवलगढ़: गढ़वाल साम्राज्य का एक खोया हुआ रत्न
श्रीनगर गढ़वाल: 286 वर्ष पुरानी राजधानी, अब उत्तराखंड के प्रमुख शहरों में एक
जानिऐं बांज उत्तराखंड का सबसे उपयोगी पौधा क्यों है ? जानिऐ कैसे लगाऐं बांज का पेड़
उत्तराखंड में वो गांव जहां देवी सीता ने गुजारे थे अपने आखिरी दिन जानिए
उत्तराखंड में इस जगह से जाता है स्वर्ग के लिए रास्ता, जानिए कैसे युधिष्ठिर यहां पहुंचे स्वर्ग
Share This Article
Facebook Whatsapp Whatsapp Copy Link
Previous Article उत्तराखंड के इस वीर प्रतापी सैनिक को शुक्रवार को दी गई श्रद्धांजली । आंतकी हमले मे हुआ था घायल
Next Article देखिए उत्तरांखड में किस सीट पर किसने मारी बाजी।
Leave a Comment Leave a Comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Stay Connected

218kFollowersLike
100FollowersFollow
200FollowersFollow
600SubscribersSubscribe
4.4kFollowersFollow

Latest News

लोक सेवा आयोग से चयनित 178 अभ्यर्थियों को मुख्यमंत्री ने प्रदान किये नियुक्ति पत्र
Uttarakhand News
November 27, 2025
अपना सबकुछ दांव पर लगाकर राज्य आंदोलन में कूद गए थे दिवाकर भट्ट, उत्तराखंड ने खोया एक और आंदोलनकारी नेता
Uttarakhand News
November 27, 2025
मुख्यमंत्री ने प्रगति मैदान नई दिल्ली में भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में आयोजित उत्तराखंड दिवस में किया प्रतिभाग
Uttarakhand News
November 23, 2025
मुख्यमंत्री धामी ने अजमेर में अखिल भारतीय उत्तराखंड धर्मशाला – तीर्थराज पुष्कर के द्वितीय तल का लोकार्पण किया
Uttarakhand News
November 23, 2025

खबरें आपके आस पास की

madho singh bhandari
उत्तराखंड इतिहास

माधो सिंह भंडारी के त्याग और स्वाभिमान को आज भी याद करता है मलेथा गॉंव

June 5, 2020
उत्तराखंड इतिहास

‘हे घांगु रमोला मैं जगह दियाला’ श्रीकृष्ण भगवान ने जब वीर भड़ घांगु रमोला से जगह मांगी

June 5, 2020
TEELU RAUTELI
उत्तराखंड इतिहास

विश्व की एकमात्र विरांगना जिसने 15 साल से 20 साल के बीच जीते 7 युद्ध, पढ़िये वीरगाथा..

June 5, 2020
उत्तराखंड इतिहासउत्तराखंड संस्कृति

उत्तराखंड के इतिहास से जुड़ी ये प्रेम कथा जब स्त्री ने किया पुरूष का हरण

June 5, 2020
Maa chandrabadni
उत्तराखंड इतिहास

यहां गिरा था मां सती का धड़, बिना दर्शन के ही हो जाती है सारी मनोकामनाएं पूरी

June 5, 2020
teelu rauteli
उत्तराखंड इतिहास

विश्व की एकमात्र विरांगना जिसने 15 साल से 20 साल के बीच जीते 7 युद्ध, पढ़िये वीरगाथा..

June 5, 2020
Raibaar UttarakhandRaibaar Uttarakhand
Follow US
©2017 Raibaar Uttarakhand News Network. All Rights Reserved.
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Donate