परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में मुनि की रेती स्थित एक आश्रम है। यह हिमालय की गोद में गंगा के किनारे स्थित है। इसकी स्थापना 1942 में सन्त सुकदेवानन्द जी महाराज (1901–1965) ने की थी। सन् 1986 स्वामी चिदानन्द सरस्वती इसके अध्यक्ष एवं आध्यात्मिक मुखिया हैं। स्वामी चिदानंद भारतीय संस्कृति शोध प्रतिष्ठान, ऋषिकेश तथा पिट्सबर्ग (Pittsburgh) के हिन्दू-जैन मन्दिर के भी संस्थापक एवं अध्यक्ष हैं। उनकी प्रेरणा से सन् 2012 में हिन्दू धर्म का विश्वकोश निर्मित हुआ।
परमार्थ निकेतन हिमालय की गोद में माँ गंगा के पवित्र तट पर, आध्यात्मिक स्वर्ग है। यह एक स्वच्छ, शुद्ध और पवित्र वातावरण के साथ ही प्रचुर मात्रा में, खूबसूरत उद्यानों के साथ पृथ्वी के सभी कोनों से आने वाले तीर्थयात्रियों के अपने हजारों प्रदान करने, ऋषिकेश में सबसे बड़ा आश्रम है। 1,000 से अधिक कमरे, आधुनिक सुविधाओं, पारंपरिक, आध्यात्मिक परमार्थ निकेतन पवित्र गंगा नदी के तट पर, मुख्य सड़क पर, स्वर्ग आश्रम में स्थित है।
आश्रम में प्रतिदिन प्रभात की सामूहिक पूजा, योग एवं ध्यान, सत्संग, व्याख्यान, कीर्तन, सूर्यास्त के समय गंगा-आरती आदि होते हैं। इसके अलावा प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद चिकित्सा एवं आयुर्वेद प्रशिक्षण आदि भी दिए जाते हैं। आश्रम में भगवान शिव की 14 फुट ऊँची प्रतिमा स्थापित है। आश्रम के प्रांगण में ‘कल्पवृक्ष’ भी है जिसे ‘हिमालय वाहिनी’ के विजयपाल बघेल ने रोपा था।
हर वर्ष जब यहाँ अन्तर्राष्ट्रीय योग समारोह का आयोजन किया जाता है तब भारी संख्या में पर्यटक यहाँ आते हैं।इस आश्रम में लोग बड़ी संख्या में योग, ध्यान और इसप्रकार की अन्य कलायें सीखने के लिये आते हैं। परिसर में एक स्कूल स्थित है जिसका प्रबन्धन आश्रम ही करता है। परमार्थ निकेतन आश्रम अनाथ और गरीब बच्चों के लिए बनाया गया है, यहाँ बच्चों को पारम्परिक शिक्षा के साथ ही वेदों की शिक्षा भी दी जाती है।
परमार्थ निकेतन की गंगा आरती बेहद प्रसिद्ध है। ठंडी बहती हवा के बीच हजारों दीपकों की झिलमिलाती रोशनी को देखना अद्भुत अनुभव है। परमार्थ निकेतन आश्रम के भीतर प्रवेश करते ही बायीं ओर बड़ी सुन्दर मूर्तियाँ हैं जो पौराणिक कथाओं के आधार पर बनाई गई हैं और दायीं ओर देवताओं की विशाल मूर्तियों का परावर्तित प्रतिबिम्ब है उनके चारों ओर लगे दर्पणों में देखकर मन हर्षित हो उठता है। ')}