कहते हैं मन में दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो कुछ भी काम असंभव नहीं होता है। इसी परिपाठी को सार्थक किया है। विकास खण्ड जखोली के गवाणा सेमलता गांव निवासी सोबत सिंह बागड़ी ने। उन्होंने बैंक से सीनियर मैनेजर के पद से वोलंटियर रिटायरमेंट लेकर पहाड़ पर मेहनत का एक ऐसा बागवान खड़ा किया है जिसे देखकर आप भी उनकी तारीफ किए बिना नहीं रह सकते हैं।
छोटे-छोटे पेड़ों से आम के बड़े-बड़े फल बता रहे हैं कि उनकी बागवानी अब आमदनी देने के लिए तैयार हो चुका है। यानी उनकी मेहनत का फल मिलने लगा है। बागवान में करीब हजारों आम, कटहल और नींबू-शहतूत आदि के फलदार वृक्ष ऐसे तनकर खड़े हैं जैसे मानों पहाड़ से पलायन करने वाले लोंगों को आवाज दे रहे हो कि पहाड़ लौट आओ यहां कि मिट्टी सोना उगती है।
उन्होंने 2014 में लगभग तीन हेक्टेयर बंजर जमीन को आम का बागान बनाया था। शनिवार को पलायन आयोग का सदस्य गढ़ माटी संगठन और ग्रामीण स्वरोजगार मिशन से जुडी रंजना रावत नेगी ने बागड़ी जी के बागान का भ्रमण किया। उन्होंने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से जानकारी दी कि
2014 से इस भूमि को अपने बच्चे की तरह सजाने संवारने में लगे बागड़ी जी का प्रयास किसी खरे सोने से कम नहीं है, बागड़ी जी ने इस जमीन पर 2014 से दिन-रात मेहनत करके लगभग 1100 आम के पेड़, लगभग 70 कटहल के पेड़ व 300 नींबू के पेड़ लगाये हैं।
इसमें लगभग सभी आम के पेड़ो ने अब फल देना शुरू कर दिया है। वे एकमात्र एक ऐंसे किसान हैं जो आम का वृहद स्तर पर उत्पादन कर रहे हैं। इस बागान को खड़ा करने का सफर उनके लिए चुनौती भरा रहा। अभी भी बहुत चुनौतियां उनके समक्ष हैं जैसे आम के भंडारण व संरक्षण हेतु पैकहाउस बनाना। आम के विपणन के लिए सही मूल्य पर बाजार ढूंढना।
उन्होंने कहा कि पलायन आयोग का सदस्य होने के नाते वे उनकी परेशानियों को समझी हैं और उनका निराकरण करने हेतु अपने स्तर से हर संभव मदद करेंगी। उन्होंने बताया कि बागड़ी जी ने पलायन आयोग को बागवानी के क्षेत्र में कुछ महत्त्वपूर्ण सुझाव दिये भी गये। 68 वर्ष की उम्र में ऐंसा जज्बा हम सबके लिए प्रेरणादायी है। उन्होंने अपनी संस्था गढ़ माटी संगठन के माध्यम से उन्हें “गढ़-नायक सम्मान” व प्रशस्ति पत्र देकर प्रोत्साहित किया।