हमारे देश में आपने जहां भी मंदिर देखे होंगे वहां पर दान पात्र रखा होता है, कई जगह वाकायदा रसीद भी काटी जाती है लेकिन उत्तराखंड के देहरादून में एक ऐसा मंदिर है जहाँ दान देना शख्त मना है उत्तराखंड में देहरादून-मसूरी मार्ग पर स्थित इस मंदिर में चढ़ावा न चढ़ाने की शर्त पर भगवान शिव के दर्शन होते हैं। वेसे भी उत्तराखंड के कई मंदिर रहस्यमयी हैं हालाँकि देहरादून जिले में स्थित यह मंदिर जादा पुराना नहीं है लेकिन यहाँ भक्तों का सैलाब देख हर कोई दंग रह जाता है।
देहरादून से मसूरी जाते समय रास्ते में श्रीप्रकाशेश्वर महादेव मंदिर पड़ता है। यह मंदिर मसूरी रोड पर कुठाल गेट के पास स्थित है। यह देहरादून से 12 किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर का निर्माण 1990-91 के दौरान कराया गया। इस मंदिर से देहरादून वैली का सुंदर नजारा दिखाई देता है।
यहां परोसा जाने वाल प्रसाद इस मंदिर की एक और विशेषता है। यहां कड़ी चावल और चाय प्रसाद के रूप में दिया जाता है।जिस कप में चाय पी जाती हैं उसे खुद ही साफ करना होता है। प्रसाद चढ़ाओं प्रसाद लो और घर जाओ भगवान आपकी झोली खुद भर देंगे।
धान ना देनी की परम्परा वाला ये मंदिर विश्वविख्यात है इसकी सुन्दरता भी लाजवाब है इस रास्ते से हप्ते के आखिरी दिनों में इस रास्ते पर भारी जाम रहता है। क्योंकि मसूरी जाने के लिए ये मुख्यमार्ग है।
यहां लिखी गई जानकारी के मुताबिक मंदिर एक निजी प्रोपर्टी है। इस मंदिर का निर्माण शिवरत्न केंद्र हरिद्वार द्वारा कराया गया है। मंदिर के निर्माता योगीराज मूलचंद खत्री का परिवार है। मंदिर में यह भी बताया गया है कि भला हम भगवान को क्या दे सकते हैं। हम तो हमेशा उनसे लेने की कामना रखते हैं।
पूछने पर पुजारी कहते हैं, जब भगवान ही हमें देता है, तो हम उसे कैसे कुछ दे सकते हैं। मंदिर में शिव के जलाभिषेक के लिए लंबी लाइन लगी रहती है। ')}