कहते हैं मंजिलें उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है पंखों से नही हौसलों से उड़ान भरी जाती है। उत्तराखंड के नौजवानों के ह्रदय में देश सेवा का जुनून लहू बनकर दौड़ता है जिस जुनून के सामने हर वो फर्ज पीछे छूट जाता है जिसका उसके जीवन में बड़ा महत्व होता है। चमोली जिले के राजेन्द्र फर्सवाण हाल ही में भारतीय सेना में भर्ती हुए हैं। राजेंद्र की कहानी भी कुछ ऐसी ही है देशभक्ति का जुनून ऐसा कि तीन दिन पहले घर पर पिता की मौत हो जाती है लेकिन लैंसडाउन आर्मी सेंटर से अचानक रिटन टेस्ट लिखित परीक्षा के लिए कोल आता है।
एक तरफ बेटे का फर्ज हिन्दू रीतिरिवाज के अनुसार इस दौरान घर से निकलना बर्जित होता है, एक तरफ देश सेवा का जुनून एवम फर्ज, इस धर्म संकट की स्थिति के बीच राजेन्द्र ने देश को प्राथमिकता देने का फैसला किया और वो दिल मे पत्थर रखकर घर से निकल पड़ता है। इस वेदना एवम देश सेवा के जुनून के बीच वह लिखित परीक्षा देकर घर लौट आता है। दरअसल, पिछले वर्ष राजेंद्र ने भारतीय सेना में अधिकांश टेस्ट पार कर दिए थे और रिटन होना बाकी था लेकिन अचानक राजेन्द्र पिता जी की पेड़ से गिरकर मौत हो गई, आप सोच सकते हैं कि ऐसे वक्त में रिटन देना कितना कठिन रहा होगा लेकिन कहते हैं अगर मन में देश भक्ति का जुनून हो तो कोई भी कठिनाई उसके लिए बड़ी नहीं होती।
कुछ दिन बाद पोस्ट आफिस के माध्यम से घर चिट्ठी पहुंचती है और सूचना मिलती है कि राजेंद्र का भारतीय सेना में चयन हो गया है। जो परिवार एक माह पूर्व इतनी असीम वेदना सह रहा था। अचानक इतनी खुशी मिली तो परिवार के साथ गावँ वालों को भी राजेंद्र पर गर्व हुआ। राजेंद्र लैंसडाउन में कठिन प्रशिक्षण के बाद शपथ लेकर देश की सेवा में जुड़ गया है। अपनी माँ के साथ भारतीय सेना की वर्दी में वह एक प्रशिक्षित जवान सीना फैलाकर देश सेवा के लिए जाने को तैयार है। सपथ के दौरान माँ सब भूलकर ख़ुशी के आंसुओं के बीच अपने दिल के टुकड़े को देश के लिए समर्पित कर रही थी, राजेन्द्र भारतीय सेना का एक अंग बन गया है, यह उनकी अपने स्वर्गीय पिता के लिए सच्ची श्रधांजलि भी है। जय हिन्द जय उत्तराखंड