रुद्रप्रयाग: भगवान शिव के “पंचकेदार” रूप में एक तुंगनाथ मंदिर केदारनाथ और बदरीनाथ मंदिर के बीच में स्थित है। हिमालय पर्वत की खूबसूरत प्राकर्तिक सुन्दरता के बीच बना यह मंदिर तीर्थयात्रियो और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

चारधाम की यात्रा करने वालो यात्रियों के लिए यह मंदिर बहुत ही महत्वपूर्ण है, लेकिन यह स्थान ट्रैकिंग और साहसिक पर्यटन के लिए भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भारी बर्फ़बारी के चलते पर्यटक एक महीने से इस स्थान पर घुमने के लिए बंछित थे लेकिन अब कुण्ड-चोपता-गोपेश्वर मोटरमार्ग पर एक माह बाद चोपता-गोपेश्वर के मध्य यातायात बहाल हो गया जिसके बाद सैलानियों की आवाजाही शुरू हो गई है।

शनिवार को पचास से अधिक सैलानियों ने चन्द्रशिला पहुंचकर प्राकृति के सौन्दर्य का आनंद लिया। सैलानियों का तुंगनाथ घाटी की ओर रूख करने से घाटी में रौनक लौटने के साथ ही पर्यटन व्यवसाय में वृद्धि होने की उम्मीद जगने लगी है।

इससे पूर्व तुंगनाथ घाटी में रिकार्ड़ तोड़ बर्फवारी होने से एक माह तक सन्नाटा पसरा रहा। मालूम हो कि 22 जनवरी को तुंगनाथ घाटी में रिकार्ड तोड़ बर्फवारी होने से कुण्ड-चोपता-गोपेश्वर मोटर मार्ग पर यातायात बाधित हो गया था। ऐसे में पांच दर्जन से अधिक सैलानी फंस गये थे, जिन्हें पुलिस व तहसील प्रशासन की कड़ी मशक्कत के बाद सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया।

लोक निर्माण विभाग राजमार्ग के अथक प्रयासों से कुण्ड-चोपता मार्ग से बर्फ हटाकर विगत दिनों पांच फरवरी को यातायात बहाल कर दिया था, मगर फिर से बर्फवारी होने के कारण चोपता-गोपेश्वर राजमार्ग के मध्य यातायात बहाल नहीं हो पाया, जिससे तुंगनाथ घाटी में एक माह तक सन्नाटा पसरा रहा।

शुक्रवार को चोपता-गोपेश्वर के मध्य यातायात बहाल होने से शनिवार को पचास से अधिक सैलानी तुंगनाथ घाटी पहुंचे। जिसके बाद तुंगनाथ घाटी की खूबसूरत तस्वीरों का दीदार भी हुआ।
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