मध्य कमान के सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल बलवंत सिंह नेगी ने चीन सीमा का दौरा किया है। उन्होंने गुंजी में सेना के अधिकारियों और जवानों से मुलाकात की। गुंजी से आगे वास्तविक नियंत्रण रेखा का हवाई सर्वेक्षण भी किया इसके अलावा उन्होंने पिथौरागढ़ छावनी क्षेत्र का भी दौरा किया। आपको बता दें कि जनरल नेगी की चीन से संबंधित मसलों पर विशेषज्ञता है।
उन्होंने सेवा काल के दौरान ही मद्रास विश्वविद्यालय से चीन की आधुनिकता विषय पर पीएचडी की थी। आईएमए देहरादून में कमांडेंट पद पर भी तैनाद रहे वो कर्नल आॅफ द आसाम रेजिमेन्ट और 14 वीं सैन्य कोर ऊधमपुर, जम्मू कश्मीर के जनरल ऑफिसर इन कमांडिंग के पद पर तैनात थे। उन्हें सैन्य अकादमियों के प्रशिक्षण कार्यों का खासा अनुभव है।
लेफ्टिनेंट जनरल नेगी की स्कूली शिक्षा राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (आरआईएमसी) देहरादून से है, जिसके बाद उन्होंने नेशनल डिफेंस कॉलेज खड़गवासला ज्वाइन किया था। वर्ष 1978 में असम रेजिमेंट की 15वीं बटालियन में बतौर सेकेंड लेफ्टिनेंट ज्वाइन किया। उन्होंने उत्तर पूर्व और जम्मू कश्मीर में विभिन्न सैन्य ऑपरेशनों में अहम भूमिका निभाई है।
अपने 39 वर्ष के सेवाकाल में वह आईएमए, इन्फेंट्री स्कूल मऊ और स्टाफ कॉलेज वेलिंगटन में बतौर इंस्ट्रक्टर रहे हैं। जनरल ने आपरेशन मेघदूत, आपरेशन विजय और आपरेशन रक्षक में भी भाग लिया है जिसके लिए 1998 में युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित हुए। इसके अलावा दो बार विशिष्ट सेवा मेडल से भी सम्मानित हुए हैं। दिसम्बर 2015 से वो मध्य कमान सेनाअध्यक्ष का कार्यभार संभाल रहे हैं। अपने कार्यकुशलता के आधार पर दुश्मनों के बीच उनका नाम खोफ के रूप में गिना जाता है।
चीन की हर हरकत पर नेगी ही विशेष नजर रखते हैं। चीन के हर कदम और वहां की अर्थव्यवस्था सहित कई अहम बिन्दुओं की जानकारी नेगी जी को अच्छे से है। ले. जनरल नेगी ने डॉक्ट्रेट ऑन चाइना पर दो बार एमफिल किया है। वह डॉक्ट्रेट ऑन तिब्बत के लिए काम कर रहे हैं। इनको मोटरबाइक के साथ घुड़सवारी व पर्वतारोहण का शौक है। वो बोक्सिग के खिलाड़ी भी रह चुके हैं। हिमांचल प्रदेश के निवासी नेगी जी का उत्तराखंड से विशेष लगाव है। ')}