ढोल दमाऊ उत्तराखंड संस्कृति की अनमोल और पौराणिक वाद्य यन्त्र है। उत्तराखंड संस्कृति विभाग ने इस वाद्य यंत्र को जीवंत रखने के लिए राज्य भर में ढोल वादकों को एक एक विशेष कार्यक्रम में सामिल होने के लिए खोज निकाला है। ‘ऊं नमो नाद’ कार्यशाला का आयोजन हरिद्वार के प्रेमनगरआश्रम में किया जा रहा है।
अब तक करीब 1000 ढोल वादक इसके लिए पंजीकरण करा चुके हैं। इसकी इतनी बड़ी संख्या में पंजीकरण को देखते हुए अब इस आयोजन को गिनीज बुक में रिकॉर्ड दर्ज कराने की तेयारियां भी शुरू हो गयी हैं। हालाँकि पंजीकरण का काम शुक्रवार तक ही किया जा साकेगा।
लोकगायक प्रीतम भरतवाण और ढोलवादक ओंकारदास के नेतृत्व में कार्यशाला की तेयारियां जोरों पर हैं। सभी ढोल वादकों को विभिन्न प्रकार की शैली में ढोल की एक ताल का प्रिशक्षण दिया जा रहा है। बस अब इस महायोजन के लिए तैयारियां अंतिम चरणों में हैं।
ढोल वादकों के लिए रहने और खाने का बंदोबस्त संस्कृति विभाग संभाल रहा है। सभी ढोल वादकों को प्रकार की ड्रेस दी गयी है साथ ही हर दिन 500 रूपये मानदेय, प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा। महाराष्ट्र के कोल्हापुर में 1356 लोगों के द्वारा एक साथ ढोल बजाने का रिकॉर्ड गिनीज बुक में दर्ज है।
इस बार उस रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए पूरी तेयारी की जा रही है अंतिम समय में पंजीकरण की संख्या काफी तेजी से बड़ी है। बरसात के मौसम में इस कार्यक्रम के होने की वजह से कुछ ढोल वादक इसका हिस्सा नहीं बन पा रहे हैं। लेकिन संस्कृति विभाग की और से इस वाबत खूब प्रचार प्रसार किया गया है। ')}