उत्तराखंड के प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर आपको आपको उर्दू भाषा में स्टेशन के नाम नजर नहीं आएंगे क्योंकि इसकी जगह अब संस्कृत ले लेगी। नए फैसले के बाद अब हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में ये नाम लिखे जाएंगे। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, यह फैसला रेलवे मैन्युअल के हिसाब से लिया गया है, जो कहता है कि रेलवे स्टेशनों का नाम हिंदी, अंग्रेजी और राज्य की दूसरी राजकीय भाषा में लिखा जाना चाहिए।
बता दें कि उत्तराखंड में सभी रेलवे स्टेशनों का नवीनीकरण हो रहा है, 2010 में उत्तराखंड संस्कृत को राज्य की दूसरी राजकीय भाषा बनाने वाला पहला राज्य बना है। इससे पहले उर्दू को रेलवे की तीसरी भाषा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था, क्योंकि उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा था जहां उर्दू दूसरी राजकीय भाषा है, लेकिन उत्तराखंड में दूसरी राजकीय भाषा संस्कृत है। कई सालों बाद इस तरफ प्रसाशन का ध्यान गया है जिसके चलते अब यह निर्णय लिया गया है।
सीनियर डिविजनल कमर्शल मैनेजर रेखा शर्मा (DCM) ने कहा, ‘राज्य के सभी रेलवे स्टेशनों का संस्कृत में सही-सही अनुवाद करना हमारे लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। ‘ रेलवे के एक अन्य अधिकारी एसके अग्रवाल ने कहा, ‘राज्य के जिन जिलों में रेलवे स्टेशन आते हैं, उनके जिलाधिकारियों को हमने पत्र लिखकर स्टेशनों की हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में सही स्पेलिंग पूछी है, हम उनके जवाब का इंतजार कर रहे हैं। ‘
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