प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में बच्चों को वैदिक गणित के बारे में रुचि रखने का अनुरोध किया, उन्होंने कहा कि भारत के लोगों के लिए गणित कभी कठिन विषय रहा ही नहीं है। उन्होंने खासकर अविभावकों से अनुरोध किया कि हम सभी भारत के वैदिक ज्ञान को समझें और बच्चों को वैदिक गणित जरूर सिखाएं इससे उनका आत्म-विश्वास तो बढ़ेगा ही, दिमाग़ की एनालिटिक पावर भी बढ़ेगी और गणित को लेकर कुछ बच्चों में जो भी थोड़ा बहुत डर होता है, वो डर भी पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। PM मोदी के वैदिक गणित के विषय में रुचि रखने वाले कोलकाता के शिक्षक गौरव टेकरीवाल के बात कर इस बारे में जानकारी ली। गौरव टेकरीवाल पिछले 20 सालों से बच्चों को विभिन्न माध्यमों से वैदिक गणित पढ़ा रहे हैं।
बता दें कि भारत में वैदिक गणित, गणित को सीखने की पुरानी विधा है। माना जाता है कि गणित का सम्पूर्ण ज्ञान केवल 16 सूत्रों में समाया हुआ है। मुश्किल से मुश्किल गणित को हल करने के लिए आप बिना कलम उठाये दिमाग से सवाल हल कर सकते हैं। भारत में तो कई प्रतियोगी परीक्षाओं में गणित विषय के सवाल आते हैं कम समय होने की वजह से तेज कैलकुलेशन करनी होती है। जिसे वैदिक गणित का ज्ञान होगा वह इन सवालों को चुटकियों में हल कर सकता है। लेकिन इसके लिए अच्छे अभ्यास की जरूरत भी होती है, जिसने ये अभ्यास कर लिया उसके लिए गणित कुछ भी नहीं है।
क्या है वैदिक गणित? नहीं बन पाया पाठ्यक्रम का हिस्सा-
जगन्नाथपुरी के शंकराचार्य स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ जी ने 1957 में इसकी रचना की बाद में 1965 में उन्होंने इसको किताब के रूप में छपवाया था इसमे उन्होंने 16 श्लोक के माध्यम से अंकगणित की सभी गरणा को करने का दावा किया यानी यह बड़ी से बड़ी कैलकुलेशन को 2 सेकंड में करने की विधि है। उन्होंने वेदों में हजारों वर्ष पूर्व वैदिक गणित विषय पर अनेक शोध और औपचारिक वार्तालाप का संकलन किया और फिर यह किताब छपवाई थी। भारत में आज वैदिक गणित कई कारणों से पढ़ाई का हिस्सा नहीं है उसका सबसे बड़ा कारण सेकुलरिज्म के नाम पर हुई राजनीति है।
दरअसल, भारत की वैदिक गणित को अमेरिकी संस्थानों के टीचर पढ़ाते हैं विदेशों में कई देशों में वैदिक गणित को विषय के रूप में शामिल किया जा चूका है। लेकिन हमारे पूर्वजों का यह ज्ञान सेकुलररिज्म की नजर से फिट नहीं बैठा और इसे कभी पाठ्यक्रम का कभी हिस्सा नहीं बनाया गया। हालांकि अब देश में वैदिक गणित के महत्व को समझा जा रहा है। कई राज्यों में इसे पाठ्यक्रम में जोड़ने के लिए भी कार्य किये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी अब इस बात पर चर्चा की है। उम्मीद है कि लोग अब वैदिक गणित के महत्व को समझने लगेंगे।
वैदिक गणित क्या वाकई में कठिन है?
वैदिक गणित के सूत्र बहुत आसानी से समझ आते हैं। उनका अनुप्रयोग सरल है तथा सहज ही याद भी हो जाते हैं। सारी प्रक्रिया मौखिक हो जाती है। ये सूत्र गणित की सभी शाखाओं के सभी अध्यायों में सभी विभागों पर लागू होते हैं। शुद्ध अथवा प्रयुक्त गणित में ऐसा कोई भाग नहीं जिसमें उनका प्रयोग न हो। अंकगणित, बीजगणित, रेखागणित समतल तथा गोलीय त्रिकाणमितीय, समतल तथा घन ज्यामिति (वैश्लेषिक), ज्योतिर्विज्ञान, समाकल तथा अवकल कलन आदि सभी क्षेत्रों में वैदिक सूत्रों का अनुप्रयोग समान रूप से किया जा सकता है।
वास्तव में स्वामीजी ने इन विषयों पर सोलह कृतियों की एक श्रृंखला का सृजन किया था, जिनमें वैदिक सूत्रों की विस्तृत व्याख्या थी। दुर्भाग्य से सोलह कृतियाँ प्रकाशित होने से पूर्व ही काल-कवलित हो गईं तथा स्वामीजी भी ब्रह्मलीन हो गए। फिर भारत में ऐसी कोई सोच भी पैदा नहीं हुई जो स्वामी जी के इस प्रयास को आगे बढ़ाता बस कुछ लोग ही हैं जो आज इन वैदिक सूत्रों का इस्तेमाल कर दिमाग को ज्यादा तेज और मजबूत बनाने का काम कर रहे हैं। यहां तक कि विदेशी विश्वविद्यालयों ने इस वैदिक की उपयोगिता को समझा है।
बता दें कि छोटी उम्र के बच्चे भी सूत्रों की सहायता से प्रश्नों को मौखिक हल कर उत्तर बता सकते हैं। वैदिक गणित का संपूर्ण पाठ्यक्रम प्रचलित गणितीय पाठ्यक्रम की तुलना में काफी कम समय में पूर्ण किया जा सकता है। वैदिक गणित गणना की ऐसी पद्धति है, जिससे जटिल अंकगणितीय गणनाएं अत्यंत ही सरल, सहज व त्वरित संभव हैं। आजकल आप ऑनलाइन टुटोरिअल के माध्यम से वैदिक गणित सीख सकते हैं। साथ ही ऑनलाइन माध्यम से वैदिक गणित का ज्ञान अर्जित कर सकते हैं।