देहरादून के करीब 300 स्कूल आयकर विभाग के निशाने पर हैं, जानकारी के अनुसार आयकर विभाग को मिली सिकायत के अनुसार इन स्कूलों पर मनमाफिक फीस लेने समेत कई तरह के आरोप हैं।
आयकर विभाग की और से इन स्कूलों को टेक्स में छूट रहती है लेकिन स्कूल की और से भी कुछ नियम और शर्तों का पालन किया जाना होता है, आयकर विभाग के रडार पर आलीशान बंगले, महंगी गाड़ियों वाले स्कूल मालिक सबसे पहले हैं। विभाग ने स्कूलों की प्राथमिक जानकारियां जुटा ली हैं। ट्रस्ट या सोसाइटी के नाम पर चलने वाले इन स्कूलों में मोटा पैसा इधर से उधर किया जा रहा है। लंबे समय से इन सोसाइटी और ट्रस्टों के खातों की जांच नहीं हुई थी।
इन नियमों का नहीं हो रहा पालन-
स्कूल सोसाइटी का मूल नियम ये है कि कोई भी विद्यालय बिना लाभ-बिना हानि के संचालित किया जाएगा। विद्यालय से जो भी कमाई होगी, वह उस विद्यालय के विकास में लगानी होगी। आयकर छूट के नियमों के हिसाब से सोसाइटी या ट्रस्ट से संचालित विद्यालयों में कोई भी सदस्य लाभ की गतिविधि संचालित नहीं कर सकता है।
सोसाइटी का पंजीकरण रजिस्ट्रार चिट एवं फंड में एक्ट 1860 के तहत होता है। विद्यालय की सोसाइटी में परिवार के लोग सदस्य तो बन सकते हैं लेकिन लाभ का पद नहीं ले सकते न ही वह उस सोसाइटी के स्कूल में नौकरी कर सकते हैं। आयकर छूट सोसाइटी व ट्रस्ट के नियम के हिसाब से संबंधित संस्थान से जो भी पैसा आएगा, उसकी पूरी जानकारी आयकर विभाग को भेजी जानी चाहिए, ताकि आयकर छूट के पैमानों पर वह विद्यालय खरा उतर सके।
गली-मोहल्लों के स्कूलों पर भी गिरेगी गाज-
राजधानी में नामी स्कूल ही नहीं गली-मोहल्लों के स्कूलों पर जाँच आयकर विभाग की गाज गिर सकती है, इसके लिए आयकर छूट शाखा की देहरादून इकाई ने काम शुरू कर दिया है। जल्द ही कुछ स्कूलों को नोटिस भी भेजा जाएगा। माना जा रहा है कि छोटे स्कूलों में भी सोसाइटी के मूल उद्देश्य से इतर काम किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक आगामी दो सप्ताह के भीतर आयकर विभाग की टीमें इन स्कूलों में अलग-अलग सर्वेक्षण करेंगे। स्कूलों की सोसाइटी के नाम जितनी भी संपत्ति है, उसकी जांच के साथ ही खर्च का पूरा हिसाब लिया जाएगा।
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