उत्तराखंड पुलिस स्थापना समिति की बैठक में एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा हुई और वो मुद्दा था पलायन और अफराद को केसे कम रोका जाए फैसले के तहत अब पहाड़ी क्षेत्र के पुलिस कर्मियों को अपने ही क्षेत्र की कम्मन सौंपी जाएगी पहाड़ी क्षेत्र में जाने के लिए अधिकतर पुलिस कर्मियों की आनाकानी होती है लेकिन अपने क्षेत्र में जाने के लिए कोई भी तैयार होगा फैसले के तहत पुलिस में तैनात प्रदेश के सीमांत जनपदों पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत, चमोली, उत्तरकाशी व रुद्रप्रयाग जिले के निवासियों को होम पोस्टिंग दी जाएगी।
प्रदेश पुलिस स्थापना समिति की बैठक में यह बात देखने में आई थी कि अधिकांश पुलिस कर्मी होम पोस्टिंग पर जोर देते हैं। होम पोस्टिंग न मिलने पर इनकी सारी तवज्जो फिर मैदानी जिलों के लिए रहती है। इसके लिए राजनीतिक दबाव बनाने के साथ ही कई प्रकार के तर्क भी रखे जाते हैं। इससे मैदानी जिलों के लिए आवेदनों की संख्या अधिक हो गई है।
फैसले के तहत सभी संवर्गों के मुख्य आरक्षी व आरक्षी, लीडिंग फायरमैन, प्रधान परिचालक, सहायक परिचालक, कर्मशाला सहायक एवं समस्त लिपिकीय संवर्ग का अब उनके गृह जनपद में तबादला किया जा सकेगा। हालांकि, गृह जनपद में नियुक्त कार्मिकों को उनके क्षेत्र से संबंधित तहसील में नियुक्ति प्रदान नहीं की जाएगी। माना जा रहा है कि इससे न केवल पुलिस को पर्वतीय क्षेत्रों में पर्याप्त संख्या में कर्मचारी मिल सकेंगे बल्कि अपराध पर भी अंकुश लग सकेगा। ')}