उत्तराखंड के पद्मश्री लवराज धर्मशक्तू ने 45 साल की उम्र में एवरेस्ट पर चढ़कर पर्वतारोहण में नया मुकाम हासिल कर लिया है।साल 2000 के बाद से अभी तक लवराज छह बार एवरेस्ट एवरेस्ट फतह कर चुके हैं लखनाऊ में पढ़ाई के दौरान माउंटेनियरिंग क्लब के सदस्यों से मुलाकात हुई। इसके बाद उन्होंने इसे ही अपना कैरियर बनाने की ठानी।
साल 1989 में नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग से लवराज ने एडवेंचर कोर्स पास किया और 1994 में पैराग्लाइडिंग। 1990 में नंदाकोट की चढ़ाई के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज यह उपलब्धि हासिल की है।लवराज की पत्नी और साउथ पोल तक पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला रीनाकौशल धर्मशक्तू बताती हैं कि उनके ससुराल तक पहुंचने के लिए कड़ी चढ़ाई करनी पड़ती है। बचपन में लवराज इसी रास्ते से अक्सर आते जाते थे, इससे उनको पहाड़ में चढ़ने का शौक चढ़ा.
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में मदकोट शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर बौना गांव में आज भी सड़क नहीं पहुंच सकी है। आज भी लोग यहां करीब दो से ढाई किलोमीटर खड़ी पहाड़ी का सफर पैदल ही पूरा करते हैं। और यही कड़ी पहाड़ी की चढाई ने उन्हें इस मार्ग को आसान बना दिया हालांकि एवरेस्ट को चोटी को छूना कोई आसान काम नहीं लेकिन वो तो एक बार नहीं दो बार नहीं पुरे 6 बार ये कारनामा कर चुके हैं और वो भी 45 साल की उम्र में भी उन्होंने अपना इरादा बुलंद रखा है. ')}