हल्द्वानी के ओखलकांडा निवासी योगेश परगाई बुधवार को नागालैंड में नक्सलियों के साथ हुए मुठभेड़ में शहीद हो गए। शहीद 4 कुमाऊं रैजिमेंट में तैनात थे। 2014 में 12 वीं पास करने के बाद सीधे सेना में भर्ती हुए थे। अपने ताऊ से सेना में जाने जा जज्बा मन में आया था, उनके ताऊ केशव दत्त परगांई भी सूबेदार मेजर के पद से रिटायर हुए थे, पिता के सालों पहले गुजरने के बाद मां ने बड़ी मुस्किल से पाला था, लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था। योगेश ने मात्र 22 साल की उम्र में देश के लिए यह बलिदान दिया।
बुधवार को शहीद होने से कुछ घंटे पहले योगेश ने अपने बड़े भाई मुकेश को फ़ोन किया था। मुकेश ने बताया कि योगेश ने बुधवार को उन्हें फ़ोन किया था, फ़ोन पर योगेश ने बोला कि मैं बिलकुल ठीक हूँ, मां का खयाल रखना, मैं दो माह बाद घर आऊंगा।
लेकिन घर पर बेटे के शहीद होने की खबर आई तो कोहराम मच गया। खबर सुनकर मां बेसुध है। भाइयों की आँखों से आंसू नहीं थम रहे। दोस्तों को भी अपने सबसे अच्छा दोस्त खोने का गम है। मां बेटे के लिए बहु ढूँढर रही थी। लेकिन इससे पहले बेटे की सहादत की खबर आ गई।
भाई ने बताया ने कि उनका भाई सभी का लाडला था। वो मेरी हर बात मानता था, बनबसा में सेना के लिए भर्ती थी तो मैंने ही उसे भर्ती में जाने के लिए कहा था, जिसके बाद वो सेना में भर्ती हो गया। वो सभी खेलों में रूचि रखता था। साथ ही बचपन से ही फौज में जाने के लिए भाग दौड़ करता था। इसलिए उसे कमांडो की ट्रेनिंग के लिए चुना गया था।
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