देहरादून: भारत मलेरिया के इलाज में उपयोग होने वाली हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का सबसे बड़ा उत्पादक है। कोरोना जैसी महामारी में राहत देनी वाली दवाई हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की दुनियाभर में मांग है और कई देश भारत की और आशा की निगाहों से देख रहे हैं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी भारत से इस दवा की आक्रमक तरीके से मांग की थी, जिसे मोदीजी ने मानवता के आधार पर स्वीकार करते हुए, इस दवा के प्रोडक्शन को शुरु कर निर्यात करने का फैसला किया है। दवा उद्योग का कहना है कि देश के पास हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का तेजी से उत्पादन बढ़ाने की क्षमता है। इपका लैबोरेटरीज, जाइडस कैडिला और वालेस फार्मास्युटकिल्स कंपनियां इस दवाई का प्रोडक्शन करती हैं।
उत्तराखंड में भी सेलाकुई स्थित इपका लैबोरेटरीज कंपनी के प्लांट में इनका प्रोडक्शन बढ़ा दिया गया है। वर्तमान में इस प्लांट में पांच करोड़ टैबलेट प्रति माह बनाई जा रही हैं। कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक इस प्रोडक्शन को और भी बढ़ाया जा सकता है। इससे पहले यहां दो करोड़ टेबलेट प्रति माह तैयार की जाती थी। इस दवा के लिए कच्चा माल भी आगामी छह से सात महीने तक कोई कमी नहीं होने वाली है। सिक्किम में कंपनी के दूसरे प्लांट में मलेरिया की ही दूसरी दवा तैयार की जा रही है। इस वक्त सेलाकुई में हर शिफ्ट में लगभग 300 कर्मचारी काम कर रहे हैं। शासन प्रशासन की और से भी पूरा सहयोग किया जा रहा है, ताकि इस वैश्विक आपदा में भारत एक बार फिर दुनिया के लिए सजीवनी देने का काम करे।
ब्राजील के राष्ट्रपति ने इस दवाई को संजीवनी करार दिया है, उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को हनुमान की संज्ञा देकर कहा कि हमें संजीवनी देने के लिए धन्यवाद, ब्राजील के राष्ट्रपति द्वारा कहे इन शब्दों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह दवा कोरोना की लड़ाई में कितनी कारगर सिद्ध हो रही है, बता दें कि कोरोना से लड़नी वाली कोई भी वैक्सीन अभी तैयार नहीं हो पाई है ऐसे में मलेरिया की दवाई इसके संक्रमण रोकने में थोड़ी बहुत कारगर हो रही है इसका कारण इसमें ‘एंटीवायरल’ विशेषताओं का होना है।