जंगल में उगने वाली सब्जी लिंगुड़े दिखने में जितने सुन्दर होते हैं खाने में उतने ही स्वादिष्ट और पौष्टिक होते हैं। दरअसल, लिंगड़ा गाड़-गधेरों के आस-पास या फिर घने जंगलों में पाए जाते हैं।
लिंगड़े का वैज्ञानिक नाम डिप्लाजियम एसकुलेंटम है तथा एथाइरिएसी फैमिली से संम्बन्धित है। इसे परम्परागत रूप से विभिन्न बीमारियों के निवारण के लिये भी घरेलू उपचार में भी प्रयोग किया है।
पहाड़ी लोगों की यह फेवरिट सब्जी है आजकल तो देश-विदेश में भी इसकी काफी मांग बढ़ गई है। साथ ही अब लिंगड़े का अचार और सलाद खूब पसंद किया जा रहा है।
बता दें कि लिंगडे मे कैल्शियम, पोटेशियम तथा आयरन प्रचुर मात्रा होने के कारण एक अच्छा प्राकृतिक स्त्रोत भी माना जाता है। अब विश्व में कई देशो में लिगड़ा की खेती वैज्ञानिक एवं व्यवसायिक रूप से भी की जा रही है।
उत्तरकाशी जिले के टीकाराम पंवार दुबई में शेफ की नौकरी कर चुके हैं, लॉक डाउन में वापस गांव आने के बाद उन्होंने लिंगुड़े के अचार की रेसिपी तैयार की देखते ही देखते उनके पास लिंगड़ा अचार लेने वालों की लाइन लग गई उन्होंने घर में ही एक महीने में 50 किलो से अधिक लिंगुड़ा का अचार बनाकर 250 रुपये प्रति किलो के हिसाब बेचा।
देखा-देखि जहां अन्य लोग भी लिंगुड़े को सुखाकर अचार तैयार कर रहे हैं। यह वाकई में बहुत अच्छी बात है यह टेस्टी और हेल्दी भी है। ऐसा भी नहीं है कि लिंगुडे का अचार पहले नहीं बनता जरूर बनता था लेकिन इस बार मांग बढ़ी है जोकि अच्छा संकेत है आने वाले समय में व्यावसायिक रूप से भी लिंगुड़ा की खेती करने पर विचार करने की जरूरत है। यह न सिर्फ स्वास्थ्य के हिसाब से अच्छी पहल होगी बल्कि लिंगुड़ा से रोजगार पाने का एक अवसर भी होगा।