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उत्तराखंड व्यजंन

उत्तराखंड के इन 10 व्यंजनों से जोड़ दीजिए नाता, कभी नहीं होंगी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं

Last updated: July 30, 2022 4:33 pm
Debanand pant
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11 Min Read
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देवभूमि उत्तराखंड भारत के खूबसूरत राज्यों में से एक है यहां सालभर पर्यटकों का तांता लगा रहता है, केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, हरिद्वार-ऋषिकेश जैसे तीर्थ स्थलों पर देश के कौने-कौने से श्रद्धालु पहुंचते हैं। तो कई लोग यहां की सुंदरता को निहारने लम्बे समय के लिए मसूरी और नैनीताल जैसी खूबसूरत जगहों पर पहुंचते हैं। उत्तराखंड में सब कुछ ख़ास है यहां की कला और संस्कृति दुनियाभर में अपना अलग पहचान रखती है। यहाँ का खान-पान भी हर पर्यटक को उंगलियां चाटने को मजबूर कर देता है, यहां खाना जलती हुई लकड़ियों और कोयला पर पकाया जाता है। इसकी वजह से खाना स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक भी बनता है।

Contents
1. गहत का गथ्वाणी/फाणू2. कंडाली का साग- 3. लिंगुड़ा की सब्जी-4. कोदा की रोटी-5. झंगोरे की खीर-6. भट्ट दाल की चुड़कानी-7. काली दाल का चौंसा-8. लाल भात-9. भांग की चटनी-10. बुरांश का जूस-

उत्तराखंड के खाने में आपको कई वैरायटी देखने को मिल जाएंगी, जिसे यात्री बहुत पसंद करते हैं। आज हम आपको ऐसे ख़ास व्यजनों की बात बताने जा रहे हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होते हैं। हमारी सलाह है कि अगर आप उत्तराखंड पहुंचे हैं तो इन व्यंजनों का जरूर लुफ्त उठाएं। ये व्यंजन आपको उत्तराखंड से बाहर भी आपको मिल जाते हैं तो  जरूर आजमाएं यकीन मानिए आपको कभी भी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं नहीं आएँगी। तो चलिए बिना देर किए जानते हैं उन खास व्यजनों के बारे में-

1. गहत का गथ्वाणी/फाणू

फानू एक ऐसा व्यंजन है जो ज्यादातर उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में प्रसिद्ध है।  वैसे तो इसे कई दालों से तैयार किया जा सकता  है लेकिन गहत की दाल का बना फाणू स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होता है।  गहत की दाल से बने फ़ानू को ही गथ्वाणि कहा जाता है। इसे दाल को भिगोकर उसे पीसकर तैयार किया जाता है। यह एक प्रकार का स्मूदी व्यंजन है, जिसे अधिकतर चावल के साथ परोसा जाता है।  उत्तराखंड में 12,319 हेक्टेयर क्षेत्रफल में इसकी खेती की जाती है उत्तराखंड से गहत दाल लेकर आप इसे अपने घर पर बना सकते है। यह दाल गुर्दे के रोगियों के लिए अचूक दवा मानी जाती है। इसमें प्रोटीन की मात्रा भी पाई जाती है, जो कमजोर लोगों के लिए विशेष लाभदायी होती है।

2. कंडाली का साग- 

कंडाली का साफ़ उत्तराखंड का पारम्परिक साग है। इसे बिच्छू घास यानी कंडाली की पत्तियों से तैयार किया जाता है यह मलेरिया, पेट के रोगों का पक्का इलाज है। इसमें आयरन का भंडार पूरा भण्डार छुपा है। इसके अलावा कंडाली में विटामिन-ए और फाइबर खूब पाया जाता है।  इसे चपाती और भात के साथ खाया जा सकता है।  कंडाली के पत्तों में आयरन होने वजह से खून की कमी दूर हो जाती है।  इसका सेवन पीलिया, उदर रोग, खांसी-जुकाम में फायदा देता है। अब लोग इसके औषधीय गुणों का लाभ लेने के लिए इसकी चाय भी पीने लगे हैं।

3. लिंगुड़ा की सब्जी-

लिंगुड़ा की सब्जी उत्तराखंड में सालों-सालों से खाई जाती रही है। यह एक टेस्टी सब्जी तो है ही एक आयूर्वेदिक दवाई भी है। यह उत्तराखंड के जंगलों में बड़ी मात्रा में होती है। डॉक्टरों का भी मानना है की  लिंगुड़ा शूगर, हार्ट, के मरीजों के लिए रामबांण है। लिंगुड़ा में फेट्स और वसा बिलकुल नहीं होता और न ही कोलेस्ट्रॉल होता है इसलिए यह हार्ट के मरीजों के लिए बहुत लाभदायक होता है। यह पेट की बीमारियों पर भी काम करता है। अगर आपको मौका मिलता है तो लिंगुड़ा की सब्जी जरूर खाएं। इसकी सब्जी खाने के लिए हमेशा मेहनत लगी है दरअसल, यह जंगलों में मिलती है और इसे तोड़ने के लिए पहाड़ी लोगों की मदद की जरूरत पड़ती है।

4. कोदा की रोटी-

कोदा की रोटी जो उत्तराखंड के सबसे पौष्टिक खाने में सुमार है। कोदे जिसे मुंडवा भी कहा जाता है। उत्तराखंड में कोदे की काफी खेती होती है। इसकी रोटी खाने से हड्डी मजबूत बनती हैं और इसका सेवन करने वाला ताकतवर बनता है। अगर आप उत्तराखंड पहुंचते हैं और किसी होटल में आपको कोदा की रोटी मिलती है तो एक बार जरूर उसका फायदा उठाना चाहिए खासकर कोदा बच्चों से लेकर वृद्धजनों तक सभी के लिये समान रूप से उपयोगी है। कोदा कैल्सियम, फासफोरस, आयोडीन, विटामिन बी, लौह तत्वों से भरपूर होता है। इसमें चावल की तुलना में 34 गुना और गेंहू की तुलना में नौ गुना अधिक कैल्सियम पाया जाता है।

5. झंगोरे की खीर-

झंगोरे की खीर स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी लाभदायक है। उत्तराखंड में प्राचीन समय से ही झंगोरे से जुड़े व्यंजनों को पकाया और खाया जाता है इसमें से एक सबसे फायदेमंद व्यंजन झंगोरे की खीर है। झंगोरे की खीर में भरपूर कैलोरी, प्रोटीन, काबोहाइड्रेट्स जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं।  यह हृदय रोग और शूगर में फायदेमंद है। उत्तराखंड में पैदा होने वाले बारीक सफेद दाने वाले झंगोरा की खीर काफी पसंद की जाती है। झंगोरे की खीर देहरादून, मसूरी, हल्द्वानी, नैनीताल जैसे शहरों में होटलों के मेन्यू का हिस्सा भी बन गई है। आप झंगोरे को अपने साथ लेकर कभी भी घर पर इसकी खीर बना सकते हैं।

6. भट्ट दाल की चुड़कानी-

भट्ट की चुड़कानी खाने का अपना एक ही अलग आनंद है जितना इसे खाने में आनंद आता है उतना ही यह सेहत के लिए रामबाण है। काले भट्ट  पहाड़ में उगाई जाने वाली मुख्य दाल है। यह बहुत ही पौष्टिक और स्वादिष्ट होते हैं। पहाड़ी काले भट्ट मुख्यतः एशिया , चीन की प्रजाति है। अमेरिका वाले भी पहाड़ी भट्ट को बहुत पसंद करते हैं। पहाड़ी भट्ट को ब्लैक सोयाबीन, ब्लैक राजमा आदि नामों से भी जानते हैं काले भट्ट या पहाड़ी भट्ट में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के सभी गुण होते हैं। पहाड़ी भट्ट दिल के रोगियों के लिए सर्वोत्तम औषधि है। कोलोस्ट्रोल में भी लाभकारी हैं काले  पहाड़ी काले भट्ट प्रोटीन का उन्नत श्रोत है। नॉनवेज भोजन के बराबर या उससे भी ज्यादा प्रोटीन काले भट्ट की दाल में मिलता है इस दाल की चुड़कानी उत्तराखंड में फेमस है चुड़कानी कैसे बनती है आप इसे गूगल पर भी देख सकते हैं आपको सिर्फ भट्ट देखने हैं कि वह पहाड़ी होने चाहिए।

7. काली दाल का चौंसा-

काली दाल का चौंसा बड़ी टेस्टी दाल रेसपी है इसमें काली दाल को भूनकर पीसकर बनाया जाता है। यह एक ट्रेडिशनल डिश है जो ज्यादातर घरों में बनाई जाती है। काली दाल का सेवन आपके पाचन को बेहतर करने में मदद करता है क्योंकि इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा होती है। इसलिए यह कब्ज की समस्या से राहत दिला सकता है। यह दिल को स्वस्थ रखने में मदद करता है। अगर आपको लगता है कि आप इसे खाने के लिए उत्तराखंड नहीं जा सकते हैं तो आप इसे काली दाल का इस्तेमाल करते हुए अपने घर पर भी बना सकते हैं। कोई पूछे यह क्या है तो नाम बता दीजिएगा उत्तराखंड का फेमस चौंसा। इसे बनाने की विधि आपको ऑनलाइन मिल जाएंगी।

8. लाल भात-

उत्तराखंड का लाल भात पौष्टिकता से भरपूर तो है ही पहाड़ का मुख्य भोजन भी है हालांकि उत्तराखंड में लाल चावल अतीत का हिस्सा बनता जा रहा है लेकिन पहाड़ों पर अभी भी मिल जाता है। पौष्टिकता से भरपूर लाल चावल में प्रोटीन 7.0 ग्राम/100 ग्राम फाइबर 2 ग्राम/100 ग्राम, लौह 5.5 मिग्रा/100 ग्राम तथा जिक 3.3 मिग्रा/100 ग्राम तक पाए जाते है। यह चावल डाइबिटीज का मरीज भी खा सकता हैं। कभी पहाड़ जाएं तो ये चावल आप साथ ला सकते हैं खासकर पर्यटक इस चावल को लाकर खीर बना सकते हैं इस चावल से बनी खीर स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होती है।

9. भांग की चटनी-

उत्तराखंड में लोग भांग की चटनी के बहुत दीवाने होते हैं इसकी वजह है इसका लाजवाब टेस्ट और पौष्टिक से भरपूर आहार होना। भांग की चटनी के साथ 4 रोटी खाने वाला व्यक्ति आराम से 8 रोटी खा सकता है। भांग के बीजो में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। जो हमारे शरीर में प्रोटीन की कमी को दूर करता है। भांग के बीजो में ओमेगा-3  फैटी एसिड और अमीनो एसिड भी पाया जाता है। जो हमारे दिल के लिए अत्यधिक फायदेमंद है। आप से आसानी से अपने घर पर बना सकते हैं। यह उत्तराखंड की सबसे फेमस चटनी है वैसे तो उत्तराखंड तिल की चटनी भी फेमश है लेकिन भांग की चटनी के स्वास्थ्य सम्बन्धी बहुत अधिक फायदे हैं इसलिए जिन लोगों को समस्याएं हैं वे इसे अपने भोजन में जोड़ सकते हैं।

10. बुरांश का जूस-

बुरांश का पौधा सेहत के लिए लाभकारी होता है। उत्तराखंड में बुरांश के फूलों का जूस बनाया जाता है। अब बड़ी मात्रा में दुकानों पर उपलब्ध होता है। यह जूस स्वादिष्ट होने के साथ ही पौषक तत्वों से भी भरपूर होता है। बुरांश के औषधीय गुण के कारण इसका इस्तेमाल रोगों के इलाज के लिए किया जाता है जानें बुरांश के फूल के फायदे- बुरांश के फूल में आयरन की मात्रा अच्छी होती है, जो एनीमिया से बचाव करता है। आयरन खून की कमी की भी पूर्ति करता है। बुरांश का फूल आपके हीमोग्लोबिन को बढ़ाने में मदद करता है। बुरांश डायबिटीज रोगियों के लिए भी लाभकारी होता है।

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