दुनिया के देशों में कंडाली की चाय (Nettle Tea) की धूम है। उत्तराखंड में बहुतायत मात्रा में पायी जानी वाली कंडाली (Nettle) अपने औषधीय गुणों के कारण बाजार में बहुत ऊँचे दामों पर बिक रही है इसका कारण यह है कि दुनिया के अनेक देशों में कंडाली के पत्तों की बहुत बड़ी मांग है। इससे चाय, सूप इत्यादि बनाये जाते हैं। आज कई लोग कंडाली की चाय और उससे जुड़े उत्पाद तैयार कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
हमारे बुजुर्गों द्वारा इसका इस्तेमाल सर्दी-खाँसी के अलावा सब्जियों में इसका सेवन करते थे। इसमें विटामिन ए और सी प्रचुर मात्रा में पाई जाती है, इस वजह से यह सर्दी-बुखार के साथ-साथ गठिया, डायबिटीज आदि में लाभदायक होता है, लेकिन अब चाय के लिए कंडाली (Nettle) फेमस हो रही है। कंडाली की पतियों को सुखाकर हर्बल चाय तैयार होती है। जानकार लोग इसकी हर्बल टी बनाकर बेच रहे हैं जिसकी यूरोपियन देशों में बहुत अधिक मांग है।
आज हम आपको कंडाली (Nettle) की हबर्ल टी बनाने की विधि बताने जा रहे हैं जो बेहद आसान है। आप खुद कंडाली (Nettle) की पत्तियां तोड़कर घर पर ही हर्बल टी तैयार कर सकते हैं। आज के समय में अमेज़न और अन्य ऑनलाइन वेबसाइट पर भी कंडाली की पत्तियां आसानी से मिल जाती है हालांकि यहां पर इसकी कीमत काफी महंगी है। लेकिन यदि आप उत्तराखंड या अन्य किसी पहाड़ी राज्य से हैं तो यह आपके घर के नजदीक जंगल में फ्री में मिल जाएगी।
ऐसे बनती है कंडाली की चाय-
कंडाली (Nettle) की पत्तियों को तीन से चार दिनों तक धूप में सूखाने की जरूरत होती है इसके बाद इसे हाथ से मसल देते हैं ताकि तने से पत्तियाँ अलग हो जाए। इसके बाद आप इन पत्तियों के साथ लेमनग्रास, तुलसी, तेज पत्ता, अदरक आदि भी कूटकर मिला सकते हैं जिसकी मात्रा बेहद कम होनी चाहिए ताकि वह कंडाली के स्वाद पर भारी न पड़ जाए। इससे चाय का स्वाद बढ़ने के साथ ही इसका पोषक तत्व भी बढ़ जाता है।
चाय बनाने के लिए 2 कप पानी एक पॅन में मध्यम आंच पर 4 मिनट तक उबाल लें। आंच बंद कर दें, और कंडाली की पत्ती डालें, ढक्कन से ढक दें और दो मिनट के लिए हल्की आंच पर उबालें। एक छलनी का उपयोग कर तुरंत छान लें, आप इसके साथ हल्की चीनी या शहद मिलाकर इसका आनंद ले सकते हैं।
कंडाली पौषक तत्वों से भरपूर-
बता दें कि कंडाली में लौह तत्व अत्यधिक होता है खून की कमी पूरी करती है। इसके अलावा फोरमिक ऐसिड, एसटिल कोलाइट, विटामिन ए भी कंडाली में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसमें चंडी तत्व भी पाया जाता है गैस नाशक है आसानी से हज्म होती है कंडाली का खानपान पीलिया, पांडू, उदार रोग, खांसी, जुकाम, बलगम,गठिया रोग, चर्बी कम करने में सहायक है। स्त्री रोग, किडनी अनीमिया, साइटिका हाथ पाँव में मोच आने पर कंडाली रक्त संचारण का काम करती है कंडाली कैंसर रोधी है, इसके बीजों से कैंसर की दवाई भी बन रही है। एलर्जी खत्म करने में यह रामबाण औषधि है कंडाली के डंठलों का इस्तेमाल नहाने के साबुन में होता है छाल के रेशे की टोपी मानसिक संतुलन के लिए उपयोगी है। औद्योगिक रूप से यह Fiber के साथ-साथ/औद्याेगिक Chlorophyll का भी मुख्य स्रोत माना जाता है। चूंकि कंडाली (Nettle) एक बहुवर्शि पौधा है, और यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध से Fiber Plant के लिये औद्योगिक रूप से उगाया जाता है लेकिन हमारे यहां यह भारी मात्रा में उगता है लेकिन उसका कोई प्रयोग नहीं होता है। आज के समय कुछ जागरूक युवा इससे स्वरोजगार जरूर कर रहे हैं लेकिन यह पर्याप्त नहीं है इसके लिए अभी और अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है।