उत्तराखंड की बद्री गाय कई मायनों में उत्तराखंड के लिए फायदेमंद हैं। इसी फायदे को देखते हुए सरकार और पशुपालन विभाग बद्री गाय के सरक्षण के लिए जी जान से जुटी है। ग्रामीण क्षेत्रों में बद्री गाय बड़ा रोजगार का साधन है बद्री गाय एक समय में 3-4 किलो दूध देती है। पहाड़ों पर हरी घास और दाना पानी बराबर मिलता है जिसकी वजह से इसके दूध की गुणवता काफी बढ़ जाती है। बद्री गाय का दूध ही नहीं मूत्र भी दवाई और खाद बनाने के काम आता है। गाँवों के कई जगह सरकार की योजनाओं के तहत लोग दी गयी हैं। बद्री गाय का मूत्र बेचकर रूपये कमाए जाते हैं।दूध बेचकर अच्छा रोजगार मिल जाता है।
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एक शोध में ये तथ्य सामने आया है कि बद्री गाय का दूध दुनिया में सबसे गुणकारी और रोग को हरने वाला है। यह शोध युकॉस्ट(उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योधिकी परिषद्) व आईआईटी ( भारतीय प्रौद्योधिकी संसथान) रूडकी के वैज्ञानिकों ने किया है। इस शोध से पता चला है कि पहाड़ी गाय के दूध में 90 फीसदी ए-2 जीनोटाइप बीटा कसीन पाया जाता है जो डायबिटीज और ह्रदय रोगों के लिए फायदेमंद होता है।
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यानी रोजगार के साथ ये गाय आपके स्वास्थ्य सम्बन्धी खर्चे को भी बचाती है। बद्री गाय का दूध गाडा और पीला होता है। बद्री गाय पहाड़ी इलाकों के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है। पहाड़ी नस्ल की इस गाय को 2016 में एनबीएजीआर (नेशनल ब्यूरो ऑफ़ एनिमल जेनेटिक्स एंड रिसर्च) की और से प्रमाण पत्र जारी किया गया है। आज के समय में शहरों में भी इस गाय की मांग बढ़ गई है।