सुबह 4.30 बजे पूरे विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कपाट खोले गए। इसके बाद डोली को गर्भगृह में स्थापित किया गया। इस दौरान हजारों श्रधालुओं ने बद्रीविशाल की जय जय कर मौके को यादगार बना दिया। बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा विधिवत शुरू हो गई है। मंदिर के मुख्य द्वार को फूल मालाओं से भव्य रूप से सजाया गया था।
सबसे पहले पूजन के बाद साढ़े चार बजे भगवान बद्रीविशाल के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिये गए। अगले छह माह भगवान बद्रीविशाल के साथ कुबेर व उद्धव पूजे जाएंगे। इसके अलावा धाम में माता लक्ष्मी के दर्शन भी किये जा सकेंगे। इस बार बद्रीनाथ धाम में भी यात्रियों को विशेष सुविधायें मिलेंगी धाम में सभी जरूरी व्यवस्थाओं को सुचारू कर लिया गया है, ताकि यहां यात्रियों की किसी भी तरह की कोई दिक्कत ना हो।
कपाट खुलने के अवसर पर बामणी और माणा की महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में दांकुड़ी नृत्य किया। कपाट खुलने से पहले रात 12 बजे से श्रद्धालु लाइनों में लगे रहे। सुबह से ही धाम में श्रधालुओं का भारी में धाम पहुँचाना भी शुरू हो गया। ')}