Raibaar UttarakhandRaibaar UttarakhandRaibaar Uttarakhand
  • Home
  • Uttarakhand News
  • Cricket Uttarakhand
  • Health News
  • Jobs
  • Home
  • Uttarakhand News
  • उत्तराखंड पर्यटन
  • उत्तराखंड मौसम
  • चारधाम यात्रा
  • Cricket Uttarakhand
  • राष्ट्रीय समाचार
  • हिलीवुड समाचार
  • Health News
Reading: जलवायु परिवर्तन और दिव्यांगता: एक अनदेखा संबंध
Share
Font ResizerAa
Font ResizerAa
Raibaar UttarakhandRaibaar Uttarakhand
  • Home
  • Uttarakhand News
  • उत्तराखंड पर्यटन
  • चारधाम यात्रा
Search
  • Home
  • Uttarakhand News
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधम सिंह नगर
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • उत्तराखंड पर्यटन
  • उत्तराखंड मौसम
  • चारधाम यात्रा
  • Cricket Uttarakhand
  • राष्ट्रीय समाचार
  • हिलीवुड समाचार
  • Health News
Follow US
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Donate
©2017 Raibaar Uttarakhand News Network. All Rights Reserved.
Raibaar Uttarakhand > Home Default > Uttarakhand News > जलवायु परिवर्तन और दिव्यांगता: एक अनदेखा संबंध
Uttarakhand News

जलवायु परिवर्तन और दिव्यांगता: एक अनदेखा संबंध

Last updated: March 20, 2024 5:07 pm
Debanand pant
Share
7 Min Read
SHARE

दीपमाला पाण्डेय

साल 2023 में पृथ्वी की औसत भूमि और महासागर की सतह का तापमान 20वीं सदी से 2.12 डिग्री फ़ारेनहाइट (1.18 डिग्री सेल्सियस) अधिक था। यह आंकड़ा साल 1850 से अब तक रिकॉर्ड किया गया उच्चतम वैश्विक तापमान है। इसने, इससे पहले अब तक के सबसे गर्म वर्ष, 2016 को 0.27 डिग्री फ़ारेनहाइट (0.15 डिग्री सेल्सियस) के अंतर से पीछे छोड़ दिया है। इस साल भी गर्मी बढ्ने की ही संभावना है।

डर लगता है ना ये पढ़ कर? एसी, कूलर, पंखा, और पानी भी याद आ गया ना? लेकिन क्या गर्मी सिर्फ पसीना और थकान ही है? क्या आपने कभी सोचा है कि बढ़ता तापमान हमारे शरीर की संरचना तक को प्रभावित कर सकता है?

जी हाँ। बढ़ता तापमान सिर्फ गर्मी का बढ़ता एहसास ले कर नहीं आता। बढ़ता तापमान कुछ और भी बताता है। ऐसा कुछ बताता है जिसे सुनने और समझने के लिए हमें अपनी सोच को विस्तार देना होगा।

दूसरे शब्दों में कहें तो बढ़ते तापमान ने जहां एक ने न सिर्फ जैव विविधता को खतरे में डाल दिया है, वहीं इसने इंसानों के जीवन पर भी गहरा असर डाला है। इतना असर की हमारी सोच से भी परे इसके आयाम हैं।

आपको जान कर हैरानी होगी कि बढ़ता तापमान हमारे डीएनए को भी नुकसान पहुंचा रहा है! और यह नुकसान जन्मजात दोष और दिव्यांगता का खतरा बन रहा है।

बढ़ती गर्मी और दिव्यांगता

साल 2018 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि गर्मी के संपर्क में आने से गर्भपात, समय से पहले जन्म, और कम जन्म वजन का खतरा बढ़ जाता है। वहीं साल 2020 में किए गए एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि गर्मी के संपर्क में आने से बच्चे में जन्मजात दोष, विकासात्मक देरी, और सीखने में कठिनाई का खतरा बढ़ जाता है।

साल 2021 में किए गए एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि दिव्यांग लोग जलवायु परिवर्तन से होने वाले मानसिक स्वास्थ्य प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। इतना ही नहीं, साल 2019 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि दिव्यांग लोग जलवायु परिवर्तन से होने वाले सामाजिक-आर्थिक प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, जैसे कि आवास, भोजन, और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में कमी।

हाल ही में, साल 2022 में किए गए एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि जलवायु परिवर्तन से दिव्यांग लोगों की सामाजिक समावेश और भागीदारी में बाधा आ सकती है।

जलवायु और जीन

जलवायु परिवर्तन का असर गर्भवती महिलाओं और उनके गर्भस्थ बच्चों के जेनेटिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। गर्भवती महिलाओं को गर्मी से अधिक संघर्ष करना पड़ सकता है क्योंकि उनका शरीर तापमान को अच्छी तरह से नियंत्रित नहीं कर पाता है। इससे गर्भपात, बच्चे का ठीक से विकास न होना, बहुत छोटा पैदा होना, बहुत जल्दी बच्चे का जन्म होना या जन्म के समय समस्याएं होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

जब गर्भवती महिलाएं बहुत अधिक गर्मी के संपर्क में आती हैं, तो यह उनके और उनके बच्चों दोनों के लिए जन्म दोष और अन्य बुरे परिणाम पैदा कर सकता है। उदाहरण के लिए, इससे शिशु का विकास बहुत धीमी गति से हो सकता है, जन्म के समय उसे सांस लेने में परेशानी हो सकती है, उच्च रक्तचाप हो सकता है, या शिशु का जन्म बहुत जल्दी हो सकता है। गर्मी शिशु के मस्तिष्क के विकास को भी प्रभावित कर सकती है, जिससे संभवतः ऑटिज़्म जैसी स्थितियाँ हो सकती हैं।

जलवायु परिवर्तन और उससे जुड़ी आनुवंशिक विविधता इस बात तक को प्रभावित कर सकती है कि किसी आबादी में कितने बच्चे पैदा होते हैं। इसलिए यह समझना वास्तव में महत्वपूर्ण है कि जलवायु परिवर्तन, आनुवंशिकी और गर्भावस्था कैसे जुड़े हुए हैं। हमें इन परिवर्तनों से निपटने के तरीके खोजने होंगे। हमें जलवायु परिवर्तन को बदतर बनाने वाली चीजों को कम करने पर काम करना चाहिए, डॉक्टरों और लोगों को इसके बारे में अधिक जानने में मदद करनी चाहिए, सुनिश्चित करना चाहिए कि हर किसी को अच्छी जानकारी हो, खासकर उन जगहों पर जहां संसाधन सीमित हैं, और यह समझने के लिए और अधिक शोध करना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन गर्भधारण को कैसे प्रभावित करता है।

बात विज्ञान की

वैज्ञानिक मानते हैं कि बढ़ते वैश्विक तापमान और हीटवेव जीवों में बांझपन और मनुष्यों सहित प्रजातियों के विकलांगता का खतरा बढ़ाने में योगदान दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त, ग्लोबल वार्मिंग के कारण होने वाली अत्यधिक गर्मी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को ख़राब कर सकती है, मृत्यु दर में वृद्धि कर सकती है और हमारे स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डाल सकती है।

इसके अलावा, आनुवांशिक अध्ययनों से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी कि बढ़ती तीव्रता सेल डेथ एपोप्टोसिस से संबंधित जीन में संभावित परिवर्तन हो सकते हैं। ये परिवर्तन न केवल वर्तमान पीढ़ियों को प्रभावित कर सकते हैं बल्कि भविष्य की संतानों पर भी प्रभाव डाल सकते हैं।

सरल शब्दों में कहें तो उपलब्ध वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर, इसमें कोई दो राय नहीं कि बढ़ता वैश्विक तापमान विभिन्न तंत्रों के माध्यम से डीएनए को प्रभावित कर सकता है और संभावित रूप से अजन्मे और नवजात शिशुओं में विकलांगता में योगदान कर सकता है।

(लेखिका बरेली के एक सरकारी विद्यालय में प्रधानाचार्या हैं और दिव्यांग बच्चों को शिक्षा और समाज की मुख्यधारा में लाने के अपने प्रयासों के चलते माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम में भी शामिल हो चुकी हैं।)

देहरादून और हरिद्वार में अवैध दवा कारोबारियों पर शिकंजा, अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश, दो आरोपी गिरफ्तार
जमरानी बांध और सौंग बांध परियोजना के कार्यों में और तेजी लाई जाए: मुख्यमंत्री धामी
उत्तराखंड का मौसम: कई जिलों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट, जानिए पूरी खबर
होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया ने लॉन्च की नई 2025 XL750 ट्रांसऐल्प ‘बुकिंग्स शुरू’
हलसी गांव में गुलदार ने बकरी चराने गई महिला को बनाया निवाला, क्षेत्र में दहशत का माहौल
Share This Article
Facebook Whatsapp Whatsapp Copy Link
Previous Article ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी और फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने सबसे बड़े मानव राष्ट्रीय ध्वज लहराने का नया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया
Next Article मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम ने राज्य के स्टेट आइकॉन के साथ बैठक की
Leave a Comment Leave a Comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Stay Connected

218kFollowersLike
100FollowersFollow
200FollowersFollow
600SubscribersSubscribe
4.4kFollowersFollow

Latest News

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट की रोक, क्या बोले सचिव पंचायतीराज?
Uttarakhand News देहरादून
June 23, 2025
मुख्यमंत्री के सख्त निर्देश संभावित आपदाओं से बचाव को रहें एडवांस तैयारी
Uttarakhand News देहरादून
June 23, 2025
गरम होता एशिया: समंदर से पहाड़ तक जलवायु संकट की मार, लेकिन चेतावनी और तैयारी ने बचाई जानें
Uttarakhand News
June 23, 2025
रुद्रप्रयाग: जिलाधिकारी प्रतीक जैन ने किया केदारनाथ धाम का स्थलीय निरीक्षण
Uttarakhand News
June 22, 2025

खबरें आपके आस पास की

Uttarakhand Newsउत्तरकाशी

दिलाराम से बालाहिसार: देहरादून और मसूरी में पठानों की अफगान विरासत

June 22, 2025
Uttarakhand Newsदेहरादून

डीएम का ऋषिकेश में चारधाम यात्रा व्यवस्था का निरीक्षण

June 22, 2025
Uttarakhand News

रुद्रप्रयाग: मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना के 31 जुलाई तक करें आवेदन

June 22, 2025
Uttarakhand Newsदेहरादून

उत्तराखंड की सांस्कृतिक आत्मा से जुड़ा एक मर्मस्पर्शी युगल गीत ‘‘आस- त्वे से मिलणै की’’ यूट्यूब पर लॉन्च हुआ

June 22, 2025
Uttarakhand Newsदेहरादून

त्रिस्तरीय पंचायतों के सामान्य निर्वाचन के लिए राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अधिसूचना जारी

June 21, 2025
Uttarakhand Newsरुद्रप्रयाग

कार्यभार ग्रहण करते ही नवनियुक्त जिलाधिकारी प्रतीक जैन ने पैदल मार्ग से यात्रा कर लिया बाबा केदारनाथ का आशीर्वाद

June 21, 2025
Raibaar UttarakhandRaibaar Uttarakhand
Follow US
©2017 Raibaar Uttarakhand News Network. All Rights Reserved.
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Donate