लिंगुड़ा एक सब्जी ऐसी है जो अपने टेस्ट और औषधीय गुणों की वजह से पहाड़ों में अपनी अलग पहचान रखती है। उत्तराखंड में प्राकृतिक रूप से मिलने वाली इस सब्जी का दैनिक रूप में इस्तेमाल होता था आज भी होता लेकिन कम मात्रा में होता है इसकी वजह यह है कि लोग लिंगुड़ा के औषधीय गुणों से अनजान हैं कम लोग ही जानते हैं कि लिंगुड़ा हमारे शरीर के लिए वरदान साबित हो सकता है इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। गाँव के बुजुर्ग लोगों को ही देख लो वे आज भी इतने फिट क्यों नजर आते हैं उसके पीछे लिंगुड़ा जैसी सब्जियों का ही हाथ है।
लिंगुड़ा का वानस्पतिक नाम डिप्लाजियम ऐस्कुलेंटम है। पहाड़ी नदी नालों में पाई जाने वाली जैविक पौध लिंगुड़ा फर्न न केवल पौष्टिक सब्जी है, बल्कि यह औषधीय गुणों से भी भरपूर है। यह समूचे एशिया, ओसियानिया के पर्वतीय इलाकों में नमी वाली जगहों पर पाया जाता है। असम में धेंकिर शाक, सिक्किम में निंगरु, हिमाचल में लिंगरी, बंगाली में पलोई साग और उत्तर भारत में लिंगुड़ा कहा जाता है।
लिंगुड़ा को कैल्शियम, पौटेशियम तथा आयरन प्रचुर मात्रा होने के कारण एक अच्छा प्राकृतिक स्रोत माना जाता है।
सामान्यतः इसमें प्रोटीन 54 ग्राम, लिपिड 0.34 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 5.45 ग्राम, फाइबर 4.45 ग्राम 100 ग्राम, विटामिन 23.59 मिलीग्राम पाया जाता है।
इसमें मिनरल्स इसमें पौटेशियम और कैल्शियम विटामिन.ए, बी.सी., खनिज तत्व, कार्बोहाइड्रेट एवं औषधीय गुणों से भरपूर है। इसमें पौटेशियम और कैल्शियम की प्रचुर मात्रा होने के कारण इसकी भरपाई के लिए इसका उपयोग किया जाता है। इस सब्जी का सेवन करने से हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
डॉक्टरों की मानें तो लिगुड़ा शुगर और हार्ट के मरीजों के लिए रामबाण है। हार्ट पेशेंट्स के लिए कोलेस्ट्रॉल काफी नुकसानदायक होता है। औषधीय गुणों से भरपूर लिगुड़ा की सब्जी हमारे इम्यून सिस्टम को बूस्ट करती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
इसकी सब्जी के रोज सेवन से आंखों की रोशनी भी बढ़ती है और साथ ही साथ पेट के कई रोग भी जड़ से खत्म हो जाते हैं। लिंगुड़ा की सब्जी लिवर में होने वाली गड़बड़ को ठीक करने और आंतों में सूजन या आंतों से संबंधित बीमारियों को जड़ से मिटा देता है लिंगुड़ा मधुमेह के लिये अत्यंत लाभकारी फर्न है।
लिंगुड़ा की कोमल हरी डंठल में एंटीआक्सीडेंट गुण होते हैं। इसकी सब्जी बनाकर या उबाल कर खाने से कैंसर जैसी घातक बीमारी में भी फायदा होता है।
अफ्रीकन जरनल ऑफ फार्मेसी 2015 में प्रकाशित लेख के अनुसार लिंगुड़ा में फ्लेवोनोइड्स तथा स्टेरॉल की वजह से बेहतर गुण पाए जाते है। मलेशिया जरनल ऑफ माइक्रोबायोलॉजी के 2011 के अध्ययन के अनुसार लिंगुड़ा सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा जनित बीमारियों को कम कर देता है। लिंगुड़ा की पत्तियों का पाउडर औद्योगिक रूप से बायोसेन्थेसिस ऑफ सिल्वर नैनो पार्टीकल्स के लिए प्रयुक्त किया जाता है क्योंकि लिंगुड़ा की पत्तियां तथा स्टेबलाइजर का कार्य करती हैं।