चीन सीमा को जोड़ने वाला और गंगोत्री को जोड़ने वाला एकमात्र गंगोरी पुल 14 दिसंबर 2017 की सुबह दो ट्रकों की ओवरलोडिंग के कारण धंस गया था। सायेद आपको ज्ञात होगा कि इस पुल के टूटने से गंगोरी से आगे भटवाड़ी, हर्षिल, गंगोत्री व असी गंगा क्षेत्र सहित चीन सीमा की सामरिक चौकियों से संपर्क पूरी तरह से कट गया था।
बीआरओ (सेना की निर्माण इकाई सीमा सड़क संगठन) ने ब्रिज को एक दो हप्ते में ही ठीक कर वाहन संचालन के लिए तैयार कर दिया था। हैरानी की बात तो ये थी कि एक महीने से भी कम वक्त में फिर से पुल को बनाकर खड़ा कर देना बहुत बड़ी बात होती थी।
लेकिन अब यह पुल एक बार फिर गिर गया है इस बार यह पुल एक ही ट्रक का भार नहीं उठा सका, जबकि 2 करोड़ 50 लाख की लागत से बने इस पुल की मजबूती को लेकर सवाल भी उठाये गए थे, सीमा सड़क संगठन की ओर से विश्वास दिलाया था कि पुल बहुत ही जादा मजबूत है। लेकिन सारा भरोषा एक बार फिर टूट गया है।
इस पुल के टूटने से सियासी हंगामा तेज हो गया, कांग्रेस इसको भुनाने की कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पुल के टूटने की सूचना मिलते ही कांग्रेस कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे। सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई ओर पुतले फूंके गए।
अभी तो सवाल जनता भी सरकार से कर रही है कि आखिर क्यों सरकार उत्तराखंड की पहाड़ी जनता के साथ खिलवाड़ कर रही है। पुल के निर्माण में तेजी लाना तो अच्छी बात थी लेकिन इसे इस तरह से बनाना कि वो दो महीने में ही टूट जाए। ऐसा क्यों हो रहा है? अगर ऐसे ही पुल टूटते रहे तो चार धाम यात्रा पर भी इन बातों का असर देखने को मिल सकता है। ')}