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Raibaar Uttarakhand > Home Default > अजब गजब > किसी डॉक्टर से कम नहीं है जोंक, इसके काटने के हैं फायदे ही फायदे लेकिन लोग डरते हैं।
अजब गजब

किसी डॉक्टर से कम नहीं है जोंक, इसके काटने के हैं फायदे ही फायदे लेकिन लोग डरते हैं।

Last updated: June 5, 2020 3:38 pm
Debanand pant
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4 Min Read
jonk
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उत्तराखंड के जंगल में बाघ का खोफ सायद कम रहता है लेकिन जमीन पर चलने वाले एक दो इंच लम्बाई वाले परजीवी जलचर जोंक का बहुत डर रहता है। ये जोंक बरसात के समय में हर जंगल में सक्रिय हो जाती है। किसी जंगल में तो यह जोंक बहुत अधिक मात्र में पायी जाती है जिसकी वजह से पाँव जमीन पर रखना भी दुश्वार हो जाता है। ये जोंक शरीर के जिस हिस्से पर काटती है वहां पर काफी देर तक खून बहता रहता है।

जोंक का जादा देर तक खून चुसना हानिकारक जरूर है लेकिन यदि जोंक आपके शरीर से थोड़ी मात्र में खून चूस लेती है तो आपको उसका बड़ा फायदा होता है? आप सोच रहे होंगे भला ऐसे कैसे हो सकता है? जी हाँ यह सच है। जोंक केवल मामूली जलचर ही नहीं बल्कि इंसानों के लिए आरोग्य देने वाली है। इसका प्रयोग त्वचा एवं रक्त संबंधित कई बीमारियों को जड़ से खत्म करने के लिए किया जा रहा है।

जोंक के बारे में एक दिलचस्प राज जानोगे तो आप भी हैरान हो जाओगे, वो ये है कि जोंक तब तक ही एक व्यक्ति का खून चुस्ती है जब तक खून साफ़ नहीं हो जाता, यदि आपका खून पूरी तरह साफ़ है तो जोंक आपके शरीर का खून ग्रहण नहीं कर पाती है। अगर फोड़े-फुंसी वाली जगह पर जोंक लग जाती है तो अक्सर हम उसे तुरंत हटा लेते हैं जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि जोंक को उस जगह पर खुद ही रख देना चाहिए, दूषित खून चूसकर वो आपको दर्दमुक्त कर सकती है।

आपको बता दें कि फोड़ा-फुँसी या रक्त विकार हो जाने अथवा चमड़ी से संबंधित बीमारियों के निवारण में जोंक किसी डॉक्टर से कम नहीं है। आजकल जलौका चिकिस्ता दुनिया के वैज्ञानिकों के लिए दिलचस्पी का जरिया बनी हुई है, जलौका अर्थात जोंक का प्रयोग करके चर्मरोगों से मुक्ति दिलाना इस चिकिस्ता का लक्ष्य है, इस पद्वति से अब तक 20 हजार से अधिक लोग रोगमुक्त हो चुके हैं।

जलौका चर्मरोगों के निवारण की दिशा में रामबाण है। जलौका विशेषज्ञ के अनुसार जलौका चिकित्सा में चर्मरोग से प्रभावित बिन्दुओं पर जोंक चिपका दी जाती है जो कि दूषित रक्त चूस लेती है। विषहीन जोंकों का उपयोग किया जाता है और एक मरीज पर एक बार में ही पन्द्रह मिनट से लेकर 3 घण्टे तक अवधि में ये प्रयुक्त होती हैं।

एक जोंक एक बार में 2 से तीन मिलीलीटर खून चुसती है, जब रक्त साफ़ हो जाता है तो वह रक्त चुसना बंद कर देती है। हम आपको सलाह देंगे कि बिना डॉक्टर की सलाह के इस तरह का प्रयोग ना करें,  इस प्रक्रिया में 30 मिनट तक रोग ग्रस्त जगह पर जोंक को लगाया जाता है। लेकिन इससे पहले जोंक को हरिन्द्रा के चूर्ण और अन्य औषधियों में डुबोया जाता है। ऐसा इसलिए ताकि गंदा खून चूसने के साथ औषधि शरीर में जा सके। ')}

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