पहाड़ी सीजनल फल काफल अपने रसभरे लाल-लाल दानों के साथ बाजार में आ चुका है और इन दिनों 400-500 रुपये किलो बिक रहा है। पहाड़ो में काफल एकमात्र फल ही नहीं है, अपितु अपने गुणों के कारण कई बीमारियों की औषधि भी है काफल कई बीमारियों के काम आता है, जिसमें त्वचा रोग से लेकर मधुमेह जैसी बीमारियां हैं काफल में विटामिन्स, आयरन और एंटी ऑक्सीडेंन्टस प्रचूर मात्रा में पाये जाते हैं।
काफल के पेड़ की छाल, फल तथा पत्तियां भी औषधीय गुणों के लिये जानी जाती है। काफल की छाल में एंटी इन्फलैमेटरी, एंटी-हेल्मिंथिक, एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल क्वालिटी पाई जाती है। इतने गुणों से परिपूर्ण काफल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, साथ ही काफल के पेड़ की छाल का पाउडर जुकाम, आंख की बीमारी तथा सरदर्द में सूँधनी के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।
काफल आर्थिक तौर पर भी स्थानीय लोगों के लिए लाभकारी सिद्ध होता है। काफल के कारण प्रतिवर्ष स्थानीय लोग बड़ी मात्रा में इसकी खेप को आसपास के स्थानीय बाजारों में पहुंचाकर काफी लाभ अर्जित करते हैं। मौजूदा समय में उत्तराखंड घूमने वाले पर्यटक काफल का आनंद ले सकते हैं। बता दें कि पहाड़ों का बेहतरीन फल काफल इतनी आसानी से नहीं मिलता। काफल पहाड़ी क्षेत्र के ऊंचाई वाले भूभाग पर होता है। 6000 फीट से अधिक ऊंचाई होने वाला काफल सबसे अधिक स्वादिष्ट होता है। उत्तराखंड के टिहरी, पौड़ी, बागेश्वर, चम्पावत, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा में ज्यादा पैदावार होती है। खासकर कुमाऊं क्षेत्र में कपकोट, घिंघारतोला, गूनाकोट, नरगोल, गिरेछीना आदि स्थानों पर भारी मात्रा में जंगलों में पाया जाता है।
काफल खाने के फायदे-
1 यह जंगली फल एंटी.ऑक्सीडेंट गुणों के कारण हमारे शरीर के लिए फायदेमंद है।
2 इसका फल अत्यधिक रस.युक्त और पाचक होता है।
3 फल के ऊपर मोम के प्रकार के पदार्थ की परत होती है जो कि पारगम्य एवं भूरे व काले धब्बों से युक्त होती है। यह मोम मोर्टिल मोम कहलाता है तथा फल को गर्म पानी में उबालकर आसानी से अलग किया जा सकता है।
4 इसके अतिरिक्त इसे मोमबत्तियांए साबुन तथा पॉलिश बनाने में उपयोग में लाया जाता है।
5 इस फल को खाने से पेट के कई प्रकार के विकार दूर होते हैं।
6 मानसिक बीमारियों समेत कई प्रकार के रोगों के लिए काफल काम आता है।
7 इसके तने की छाल का सारए अदरक तथा दालचीनी का मिश्रण अस्थमाए डायरियाए बुखारए टाइफाइडए पेचिश तथा फेफड़े ग्रस्त बीमारियों के लिए अत्यधिक उपयोगी है।
8 इसके पेड़ की छाल का पाउडर जुकाम आँख की बीमारी तथा सरदर्द में सूँधनी के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।
9 इसके पेड़ की छाल तथा अन्य औषधीय पौधों के मिश्रण से निर्मित काफलड़ी चूर्ण को अदरक के जूस तथा शहद के साथ मिलाकर उपयोग करने से गले की बीमारी खाँसी तथा अस्थमा जैसे रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
10 दाँत दर्द के लिए छाल तथा कान दर्द के लिए छाल का तेल अत्यधिक उपयोगी है।
11 काफल के फूल का तेल कान दर्द, डायरिया तथा लकवे की बीमारी में उपयोग में लाया जाता है। इस फल का उपयोग औषधी तथा पेट दर्द निवारक के रूप में होता है।