मुनस्यारी परिचय :
मुनि का सेरा अर्थात तपस्वियों का तपस्थल होने के कारण इसका नाम मुनस्यारी पड़ा। मुनस्यारी पिथौरागढ़ से 165 किमी की दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित है। यहां से हिमालय की बर्फीली चोटियों के साथ ही नैनीताल की भी चोटियां दिखाई देती हैं। मुनस्यारी में ऊनी वस्तुएं शाॅल, दन, कालीन, पंखी, पशमीना दुशाले, जड़ी-बूटियां आदि मिलती हैं। यहां से रालम, नामिक और मिलम ग्लेशियर का रास्ता जाता है। जो वाकइ मे देखने लायक है ।
मिलम ग्लेशियर :
पिथौरागढ़ से लगभग 208 किमी की दूरी पर मुनस्यारी तहसील में स्थित यह ग्लेशियर कुमांऊ का सबसे बड़ा ग्लेशियर है। यहां जाने पर सरकारी प्रतिबंध होेने के कारण परगनाधिकारी से प्रवेश पत्र लेना होता है। इसके मार्ग में भोजपत्र के घने जंगल, जड़ी-बूटी व कस्तूरी मृग देखने को मिलते हैं। इसके बाद किंगरी-विंगरी दर्रा पड़ता है।
नन्दा देवी :
मुनस्यारी सुन्दर वादियों मे मा नन्दा देवी मन्दिर विराजमान है यहां की सुन्दरता शायद माता को बहुत पसन्द आयी होगी ओर माता नन्दा देवी ने उसे अपना रहने का स्थान बना लिया यहां माता के दर्शनो के लिऐ हजारों की तादाद में लोग यहां आते हैं ।
कालामुनि मन्दिर :
मुनस्यारी के कालामुनि मन्दिर भी ना सिर्फ अपने चमत्कारों के लिऐ प्रसिद है बल्कि यह मन्दिर देखने मे भी मनोहर है हर कोइ यहां आकर कालामुनि के दर्शन करने नही भुलता।
बिर्थी झील :
पहाडो के बीच में बसी बर्थी झील मुनस्यारी की यात्रा को सफल बनाती हसीन वादियों के बीच मे बहता सुन्दर सा झरना मन को मोह लेता है यहां ठहरने के लिऐ बहुत अच्छे इन्तजाम है यकीन मानिये आपकी मुनस्यारी की यात्रा विदेशो के भ्रमण जैसी होगी उंची उंची पहाडिया ओर उनके बीच मे यह झरना पर्यटकों का मन मोह लेता है ।
सैना के गढ़ लैंसडाउन का इतिहास नही जाना तो फिर क्या जाना? अंग्रेजो ने बसाया था लैंसडाउन।
यहां का जीवन शान्त ओर मधुर हे यहां के लोग भी आपको बहुत भाऐंगे पहनावा ओर बोल चाल यहां के लोगों का बहुत अच्छा है। मैं भगवान से बार बार यहां आने की कामना करूंगा। यहां शर्दियों के मोसम में बहुत ही अच्छा नजारा देखने को मिलता है ओर कइ लोग जादातर आजकल यहां पहुंच रहे है ।
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