चम्पावत : तीन साल पहले नसबंदी कराने के तीन साल बाद एक महिला गर्भवती हो गई. जब वह अपने पति के साथ डॉक्टर से वजह पूछने पहुंची तो उनका गुस्सा डॉक्टर पर ही टूट पड़ा. अकसर देखा जाता है कि कभी कभी किसी नसबंदी के मामले में डॉक्टर्स भी फ़ैल हो जाते हैं. ये बात कुछ आंकड़े भी बताते हैं कि 2017 में करीब 200 नसबंदी में 4 मामले फ़ैल साबित हुए हैं. इसकी जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की होती है. इस मामले में महिला के पति ने स्वास्थ्य विभाग को जिम्मेदार ठहराते हुए मुआवजे की मांग की है.
जिला मुख्यालय से करीब 34 किलोमीटर दूर चंपावत विकासखंड की दुधौरी ग्राम पंचायत के दिवान राम का कहना है कि उनकी पत्नी नीला देवी ने 2015 में जिला अस्पताल में लगे शिविर में नसबंदी कराई थी. पिछले साल उनकी पत्नी गर्भवती हो गई. उन्होंने दुधौरी के पूर्व ग्राम प्रधान भीम सिंह से शिकायत की. मंगलवार को दिवान राम पूर्व प्रधान को साथ लेकर मुख्यालय आए और विभाग को पत्र भेज नसबंदी में लापरवाही का आरोप लगाया.
उन्होंने बताया कि पहले से ही उनके तीन बच्चे हैं. आपको बता दें कि गर्भवती होने पर 90 दिनों के भीतर स्वास्थ्य विभाग को सूचना दिए जाने पर 30 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाता है. ऐसे मामलों में जिले में अब तक दो लोगों को मुआवजा दिया जा चुका है. ')}