आपदा प्रभावित रैणी गांव पर अब बड़े भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है, सोमवार को रैणी वल्ली के पास करीब तीस मीटर टूट गई, जिससे पूरे गांव पर भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। ग्रामीणों की रातें डरे सहमे गुजर रही हैं। वहीं, बरसात के आने वाले सीजन को देखकर रैणी के ग्रामीणों के मन में चिंता बैठ गई है।
चिपको नेत्री गौरा देवी का म्यूजियम, लाइब्रेरी भी इसी गांव में है जो अब लगभग पूरी तरह भूस्खलन की जद्द में आ चूका है, रैणी वल्ली गाॅव में करीब सात-आठ परिवार रहते हैं। गांव तक खेतों में दरारे पड़ रही हैं जो बड़े खतरे का सकेंत दे रही है। बीती सात फरवरी को ऋषिगंगा कैचमेंट में आई जलप्रलय के बाद गाँव पर खतरा बना हुआ है, शासन की और से ग्रामीणों को आश्वासन दिया जा रहा है लेकिन ग्रामीणों के लिए सरकार कुछ ठोस कदम नहीं उठा पा रही है।
गांव में चमोली जिला प्रशासन लगातार नजर बनाए हुए है। सोमवार को जिला प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों की मांगों को उच्चाधिकारियों तक पहुंचाने की बात कही। ग्रामीणों की मांग है कि उन्हें उचित स्थान पर पुनर्विस्थापित किया जाय, ग्रामीणों से बातचीत के बाद बीआरओ ने सड़क को खोलने का कार्य शुरू कर दिया गया है, दूसरी और ऋषिगंगा नदी पर बनाए गए गार्डर/वैली ब्रिज के बायें एबटमेंट भी खतरे की जद में है, बीआरओ के सामने अब इस पुल को बचाने की बड़ी चुनौती है, अगर मौसम साथ नहीं देता है पुल को बचाना मुश्किल हो जायेगा।