आज हम आपको जो बताने जा रहे हैं उसे जानकर आप चौंक जायेगे। एक ऐसा शहर जहाँ ना धर्म है ना सरकार ना पैसा। जी हाँ हम जिस शहर की बात कर रहे वो अपने देश भारत में ही है। चेन्नई से 150 किमी दूर इस शहर का नाम ऑरविले है। जिसकी स्थापना मीरा अल्फाजों ने की थी मीरा अल्फाजों श्री अरविंदों स्प्रिचुअल रिट्रीट में 29 मार्च 1914 को पाण्डिचेरी आई थी। और प्रथम विश्व युद्ध के बाद कुछ समय के लिये जापान चली गई थी।
1920 में व वापिस लौटी और 1924 में श्री अरविंदों स्प्रिचुअल संस्थान से जुड़कर जनसेवा का कार्य करने लगी। 1928 में उन्होंने ऑरोविले की स्थापना की इस शहर को सिटी ऑफ डॉन भी कहा जाता हैं। यानि भोर का तारा।
इस शहर को बसाने का मुख्य उद्देश्य था इस शहर को जाति, धर्म और ऊँच- नीच के भेद-भाव से दूर रखना। यहाँ कोई भी इंसान आकर बस सकता है शर्त बस यह है की उसे सेवक के रूप में रहना होगा। यहाँ सरकार कभी दखल नहीं देती है यह एक तरह की प्रायोगिक टाउनशिप है जो तमिलनाडू के वेल्लुपुरम जिले स्थित है।
इसे कई जगह सराहा गया इस शहर की प्रशंसा यूनेस्को ने भी की है और यह भारतीय सरकार द्वारा भी समर्थित है इस शहर की आबादी करीब 24000 है यहाँ एक मंदिर भी है जो किसी धर्म से संबंधित नहीं है। बल्कि इस मंदिर में लोग आते है और योगा करते है।
यहाँ करीब 50 देशों के लोग रहते हैं। इसे यूनिवर्सल सिटी के नाम से जाना जाता है जहाँ कोई भी कहीं से भी आकर बस सकता है। अपनी इन तमाम खूबियों के चलते ये शहर विश्व में प्रसिद्ध है।
इस शहर में बिजली का इस्तेमाल ना के बराबर होता है यहाँ पर अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाता है जैसे सौर उर्जा, पवन उर्जा और बायोगैस। आज के समय में इस शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की तेयारी चल रही है। ')}