प्रदेश के प्राथमिक से लेकर माध्यमिक तक सरकारी विद्यालयों के शिक्षक आगामी एक जुलाई से ड्रेस कोड में दिखेंगे। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने दावा किया कि इस संबंध में शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने भी हामी भर दी है। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि शिक्षक संगठनों के सम्मेलनों में वह तब ही शिरकत करेंगे, जब शिक्षक ड्रेस कोड में होंगे।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड अनिवार्य है। आम शिक्षक को ड्रेस कोड लागू करने पर आपत्ति नहीं है। जिलों में जिलाधिकारियों ने भी शिक्षकों से यही अपील की है। शिक्षक संगठनों के पदाधिकारी भी इससे सहमत हैं। उन्होंने निर्णय लिय है कि वह शिक्षकों के बीच तब ही जाएंगे, जब वह ड्रेस कोड अपनाएंगे। ड्रेस कोड का पालन होने पर ही वह संघों के सम्मेलनों में शिरकत करेंगे।
मंत्री ने साफ किया कि ड्रेस कोड का उद्देश्य शिक्षकों को परेशान करना नहीं है। शिक्षा की गुणवत्ता और विद्यालयों में शैक्षिक माहौल बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है। थराली विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने के बावजूद चमोली जिले में शिक्षकों के सम्मेलन को अनुमति पर उन्होंने कहा कि यह आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि तबादलों में सबसे पहले गंभीर रूप से बीमार और कैंसर पीड़ित शिक्षकों को राहत दी जाएगी। इसके लिए जरूरत हुई तो नियमों में संशोधन भी किया जाएगा। अन्य जिलों में संबद्धता खत्म करने के आदेश के चलते परेशानहाल करीब 400 शिक्षकों के बारे में उन्होंने कहा कि इसकी समीक्षा की जा रही है। चूंकि मसला नीतिगत है, इसलिए मुख्यमंत्री से वार्ता कर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
एनसीईआरटी की किताबों को लागू करने के बावजूद निजी विद्यालयों की ओर से पेश की जा रही परेशानी पर उन्होंने कहा कि खामियां दुरुस्त की जाएंगी। इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।
अशासकीय विद्यालयों में भर्ती खुलेगी शिक्षा मंत्री ने कहा कि सहायताप्राप्त अशासकीय विद्यालयों में नियुक्तियों पर रोक जल्द हटेगी। इन विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती के मानक तय किए जा चुके हैं। इस संबंध में शासनादेश हो चुका है। नियुक्तियों पर लगी रोक हटाई जाएगी। उन्होंने कहा कि फीस एक्ट बन चुका है, अब इसके मानक तैयार किए जा रहे हैं। इस एक्ट को लागू करने के प्रति सरकार प्रतिबद्ध है। ')}