उत्तराखंड सूचना एवं लोक संपर्क विभाग की दमनकारी नीतियों के विरोध में आज संयुक्त पत्रकार संघ के बैनर तले विभिन्न यूनियनों संगठनों के पत्रकारों ने सूचना विभाग पहुंचकर धरना शुरू कर दिया, आज डबल इंजन की सरकार की ताकत आगे पत्रकार भी धरना देने पर मजबूर हो गए । दरअसल, उत्तराखंड सरकार की नीति पत्रकारों के हितों के लिए बिलकुल भी स्पष्ट नहीं हो पा रही है, हरेला पर्व एवं श्रीदेव सुमन से सम्बंधित विज्ञापन न दिया जाना इसी सोच का परिणाम है। 29 जनवरी के बाद लगभग छै माह मे लघु मध्यम श्रेणी एक भी विज्ञापन जारी नही किया गया है।
18 वर्षों से जारी होने वाले अमर शहीद श्रीदेव सुमन से सम्बन्धित विज्ञापन जारी न किया जाना यह भी दर्शाता है कि सूचना विभाग इन उत्तराखन्डी सपूतों की स्मृति आम जनमानस के दिमाग से भुला देना चाहता है।
इसी लघु मध्यम मीडिया से ही भाजपा को अनेक नेता मिले हैं। आदरणीय भगत दा,स्व प्रकाश पन्त, रमेश पोखरियाल निशंक जैसे प्रमुख नाम है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में नौकरशाही आमजन के प्रति जवाबदेह होती है।
गुरूवार को तीन घन्टे तक चले सांकेतिक धरने पर यदि महानिदेशक मेहरबान सिंह बिष्ट को अपनी जवाबदेही का तनिक भी अहसास होता तो वह धरना स्थल पर पहुंच कर न्यायोचित मांग मानकर पत्रकारों के आत्मसम्मान की रक्षा कर सकते थे। परन्तु उन्होंने हठधर्मिता दिखाते हुए फोन तक रिसीव नहीं किया। अतः आज हम पत्रकारगण अपने ही दफ्तर ” सूचना विभाग ” मे उत्तराखन्डी पत्रकारों के आत्मसम्मान की रक्षा की खातिर तालाबंदी करेंगे। *
हमे विश्वास है कि हमे आपका सहयोग अवश्य प्राप्त होगा।