उत्तराखंड के पहाड़ी गांव में एक ऐसी शादी चर्चा में है जहां शादी में ग्रामीणों ने अपने पहाड़ी खाने के साथ विदेशी खाने का भी जायका चखा, और अपने महमानों को भी चखाया जिसने मेनू देखा वो हैरान हो गया दरअसल पहाड़ों में ऐसा मेनू देखना लगभग नामुमकिन सा होता है।
ख़ास बात ये रही कि जो खाना पहाड़ में बनाना बहुत मुस्किल होता है, वो पहाड़ी अंदाज में ही बना और महमानों ने उसका जमकर लुफ्त उठाया। जी हाँ रुद्रप्रयाग जिले के दुरस्त गांव उरौली (लस्या) में हाल ही में ऐसी ही शादी देखने को मिली। यहाँ गढ़वाली भोज के साथ विदेश भोज भी मेनू में देखने को मिला। इतना ही नहीं शादी का कार्ड भी गढ़वाली भाषा में छपवाया गया था।
इस गांव में अमित राणा जी की शादी में मेनू गजब का था और हो भी क्यों ना? आपको बता दें कि अमित राणा मशहूर प्रड्यूसर दौलत राणा जी के भतीजे हैं। अपने संस्कृति के प्रति दौलत राणा जी हमेशा सजग रहते हैं। फिल्मों और गीतों के माध्यम से दौलत राणा जी के SDE प्रोडक्शन ने उत्तराखंड के संस्कृति को संजोये रखकर हर उत्तराखंडी के दिल में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। गैल्यानी और घसेरी एल्बम के गीतों ने तो धूम ही मचा दी थी।
वो गांव में अपने भाषा के साथ साथ अपने संस्कृति, खान पान और पेड़ लगाकर पर्यावरण को बचाने जैसे कार्यों को भी अपना समय देते हैं। जबकि वो खुद जादातर समय मुंबई में रहते हैं। जब भी गांव आते हैं तो कुछ इसी तरह के सांस्कृतिक कार्यों में रूचि दिखाते हैं।
अपने भतीजे की शादी में भी उन्होंने इस तरह के भोज का आयोजन कराया जिसे देख हर कोई हैरान रह गया। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी भतीजी की शादी में भी 2017 में पहली बार इस क्षेत्र में ड्रोन केमरा भी लगाया गया था। जिसने शादी की तसवीरें मजेदार बन गयी। अपनी भतीजी की शादी का कार्ड भी उन्होंने गढ़वाली में छपवाया था। यहां शादी के मेनू में पहाड़ी खाने के साथ-साथ इटेलियन, थाई, चाइनीज, पंजाबी खाने को सामिल किया गया। हम आपको तस्वीरें इसलिए दिखा रहे हैं कि ये अगर हम कुछ ऐसा भी विचार रखते हैं तो वो भी एक अलग सी खुसी महसूस कराती है।
अक्सर आपने लोगों को कहते सुना होगा कि हम अपने पहाड़ी खाने को मोल नहीं देते, आपको बता दें कि यहां मैं मेनू में पहाड़ी खाने का जलवा था, वहीं विदेशी खाने को लेकर महिलाओं और बच्चों में उत्साह देखने को मिला।
ग्रामीण बच्चों को गांव में पहली बार पास्ता और थाई कड़ी जैसे व्यंजन खाने को मिले, उनके चेहरे पर अलग सी मुस्कान देखी जा सकती थी।
मेनू में पास्ता , थाई करि, हक्का नूडल, मन्चूरियन, राजमा मेक्सिकन स्टायल में, झगोरा कु पाल्यो, कापुलु, कोदा की रोटी, दाल, भाटवानी, रोटी, छोला, दाल मखनी, जीरा राइस, ग्रीन पीस पुलाव, आलू-गोबी की भुज्जी,मटर पनीर, गुलाब जमून और सूजी सामिल था। देखिये और भी तसवीरें-
दोस्तों आपको क्या लगता है इस तरह का भोज होना चाहिए? या फिर गढ़वाली खाने के साथ इस तरह का जायका बिलकुल नहीं होना चाहिए कमेंट में जरूर बताएं। ')}