निलोंग घाटी उत्तरकाशी से अच्छी खबर आ रही है अब निलोंग घाटी मैं स्थित फेमस गर्तांग गली जाने का रास्ता पर्यटकों के लिए खोल दिया जायेगा। यहाँ से आप तिब्बत के पठारों के सुंदर नज़ारे देखे जा सकेंगे। निलांग और हर्षिल घाटी आने वाले पर्यटकों के लिए ये बहुत ही अच्छी खबर है। अप्रैल में गंगोत्री नेशनल पार्क के उपनिदेशक और जिला प्रशासन ने इस रास्ते जायजा लिया। पर्यटन मंत्री ने भी यहां दौरा कर 19 लाख रूपये मरमत के लिए स्वीकृत किये थे।
समुद्रतल से 11 हजार फीट ऊंचा यह रास्ता उत्तरकाशी जिले में भारत-चीन सीमा पर जाड़ गंगा घाटी में पड़ता है। आधा किमी. लंबी यह गर्तांगली 1962 में भारत-तिब्बत व्यापार का प्रमुख मार्ग हुआ करती थी। बताया जाता है कि यह मार्ग 17वीं सदी में पेशावर से आए पठानों द्वारा बनाया गया था।
इतिहास पर नजर डालें तो कभी उत्तरकाशी से नेलांग के रास्ते तिब्बत के साथ व्यापार होता था। वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध की सुगबुगाहट के बीच सीमा के पास बसे जाड भोटिया समुदाय के नेलांग और जाढ़ूंग गांव खाली करा कर सरकार ने इस क्षेत्र को प्रतिबंधित कर दिया था।
अब गर्तांग गली का रास्ता खुल जाने के बाद यहाँ आने का रोमांच बहुत ही जादा बड जायेगा। हालांकि, गंगोत्री नेशनल पार्क क्षेत्र में आने के कारण अभी वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने विधिवत रूप से गर्तांगली जाने अनुमति तो नहीं दी है। लेकिन, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डीबीएस खाती ने विश्व पर्यटन दिवस के लिए विशेष परिस्थिति में एक दिन के लिए अनुमति दी है।
11 हज़ार फीट की ऊंचाई पर चलने के लिए हिम्मत और साहस की जरूरत होती है प्रकृति के खूबसूरत नज़ारे देखने हैं तो ये पगडण्डी पार करनी होगी उसके बाद दूर दूर तिब्बत के सुनहरे पठार नजर आयेंगे आपको बता दें की 1962 से पहले यह कैलाश यात्रा का भी मुख्य मार्ग हुआ करता था।
पर्यटन दिवश के मौके पर दिल्ली, मुंबई, अलीगढ़ आदि स्थानों के 30 से अधिक पर्यटक पहली बार गर्तांगली जायेंगे। इस सभी यात्रियों के अनुभव के आधार पर आगे की यात्रा के बारे में विचार किया जाएगा। ')}