उत्तरकाशी: छात्र के जीवन में एक शिक्षक भगवान के समान होता है। धीरे-धीरे दोनों के बीच एक परिवार सा रिश्ता बन जाता है। हमारे पहाड़ों पर तो यह रिश्ता और भी खास होता है। उत्तरकाशी राईका भंकोली में शिक्षक आशीष डंगवाल की विदाई के समय सारे छात्र फूट-फूट कर रो पड़े, इस दौरान केलसु घाटी के ग्रामीण, बच्चों के अभिभावक और अन्य लोगों के आंखों में आंसु आ गए। शिक्षक आशीष भी भावुक हो गए। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें वायरल हो रही हैं।
शिक्षक आशीष ने तस्वीरों के साथ अपनी लिखा- ”मेरी प्यारी केलसुघाटी, आपके प्यार, आपके लगाव, आपके सम्मान, आपके अपनेपन के आगे, मेरे हर एक शब्द फीके हैं। सरकारी आदेश के सामने मेरी मजबूरी थी मुझे यहां से जाना पड़ा, मुझे इस बात का बहुत दुख है ! आपके साथ बिताए 3 वर्ष मेरे लिए अविस्मरणीय हैं भंकोली, नौगांव, अगोडा, दंदालका, शेकू, गजोली, ढासड़ा, के समस्त माताओं, बहनों, बुजुर्गों, युवाओं ने जो स्नेह बीते वर्षों में मुझे दिया मैं जन्मजन्मांतर के लिए आपका ऋणी हो गया हूँ। मेरे पास आपको देने के लिये कुछ नहीं है, लेकिन एक वायदा है आपसे की केलसु घाटी हमेशा के लिए अब मेरा दूसरा घर रहेगा, आपका ये बेटा लौट कर आएगा। आप सब लोगों का से शुक्रियादा । मेरे प्यारे बच्चों हमेशा मुस्कुराते रहना। आप लोगों की बहुत याद आएगी।”
ग्रामीणों ने शिक्षक को ढोल-दमाऊं के साथ शानदार विदाई दी। दरअसल, शिक्षक आशीष डंगवाल तीन साल पहले उत्तरकाशी के बेहद दुर्गम इलाके भटवाड़ी ब्लॉक के केलसु घाटी स्थित राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली में एलटी टीचर के पद पर आये थे । हाल ही में प्रवक्ता भर्ती परीक्षा में आशीष ने प्रथम स्थान हासिल किया, जिसके फलस्वरूप उनका वहां से तबादला हो गया ।
विदाई कार्यक्रम के दौरान पहले स्कूल में बच्चे उनसे लिपटकर रो पड़े। उसके बाद ग्रामीण भी आशीष को वहां से ना जाने की बात कह रहे थे, वहीं, शिक्षक आशीष भी ग्रामीणों से फिर घाटी में लौटने का वादा करते भावुक हो गए । क्या बूढ़े… क्या जवान… क्या बच्चे… हर व्यक्ति की दशा एक तरह थी। आशीष डंगवाल मूल रूप से रुद्रप्रयाग जिले के श्रीकोट गांव के रहने वाले हैं, आशीष का कहना है कि केलसु घाटी के लोगों ने जो प्यार और स्नेह उन्हें दिया, वो मेरे जीवन में अस्मरणीय रहेगा । मैं जीवन पर्यन्त घाटी के लिए काम करूँगा और घाटी हमेशा के लिए मेरा दूसरा घर होगा। सोशल मीडिया पर तस्वीरें देखकर हर शख्स यही कह रहा था वाह! शिक्षक हो तो ऐसा। छात्र और ग्रामीणों के ये आंसू शिक्षक की मेहनत और लगन को दर्शाता है। मात्र तीन साल के कार्यकाल के दौरान आशीष डंगवाल ने हर किसी के दिल में जो जगह बनाई वह उनके उज्जवल भविष्य की और इशारा करता है, शुभकामनाएं ।
आप भी देखिए तस्वीरें जो शिक्षक आशीष डंगवाल द्वारा शेयर की गई हैं==
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