मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती है। कभी पेट भरने के लिए दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती थी तो पानी पीकर पेट भरने वाला किसान का बेटा अब कनाडा में चुनाव लड़ेगा। उत्तराखंड के गांव का बेटा मुरालीलाल थपलियाल कनाडा में प्रोग्रेसिव कंजरवेटिव (पीसी) पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। 21 अक्टूबर को ब्रैम्पटन वेस्ट सीट पर वे कंजरवेटिव पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में होंगे। उनकी ईमानदारी और मेहनत की वजह से स्थानीय लोगों का उन्हें बहुत सपोर्ट मिलता है।
वे अभी अपनी पत्नी और दो बेटों के साथ कनाडा के ब्रैम्पटन में रहते हैं। इस मुकाम तक पहुंचना उनके लिए आसान नहीं था बल्कि सख्त मेहनत व कुर्बानियों के बाद उन्होंने यह मुकाम हासिल किया। आज जिस मुकाम पर मुरालीलाल जी हैं उनके कद को देखकर गर्व होता है। वो जब भी अपनी बारे में बताते हैं तो उत्तराखंड का जिक्र करते हैं जिससे उत्तरखंड का नाम भी ऊँचा होता है।
यह कहा मुरारीलाल थपलियाल ने–
मेरा जीवन बहुत कठिनाइयों से गुजरा है। मैं उत्तराखंड के दौनखंड गांव में किसान के घर पैदा हुआ। आठ बच्चे व मां-बाप, दस लोगों का परिवार था। खेती से गुजारा होता था लेकिन एक बार सूखा पड़ गया। तब हालात यह थे कि अगर घर में दस लोग हैं तो दस ही रोटियां बनती थीं। उन एक रोटी से पेट नहीं भरता था। जिंदगी बड़ी मुश्किल था। तब हम एक रोटी खाने से पहले 5-6 गिलास पानी पी लेते थे। जिससे पेट पहले ही पानी से भर जाए और एक रोटी खाने के बाद लगे कि अब भरपेट खाना खा लिया और हम जिंदा रह सकते हैं। यही वजह है कि जब गांव में बरसात होती और फसल पर दाने लगते तो बहुत खुशी होती थी कि अब कम से कम भरपेट खाने को मिलेगा और हम जिंदा बच जाएंगे।
26 किमी पैदल जाकर की पढ़ाई–
कैनेडा में चुनाव लड़ रहे मुरारीलाल थपलियाल ने बताया कि पानी पीकर पेट भरने के बावजूद वो 26 किलोमीटर पैदल पढ़ाई करने जाते थे। गरीबी की वजह से सबको पढ़ाई मुश्किल लगती थी। मेरा स्कूल 13 किलोमीटर दूर था। 13 किलोमीटर जाने और 13 किलोमीटर चलकर घर वापस आना। इस तरह मैंने अपनी दसवीं व बारहवीं की पढ़ाई की। मैंने वहां सेंटर टॉप किया। 17 साल की उम्र में मैं मुंबई चला गया। लेबर कानून की वजह से मुझे किसी फैक्ट्री में नौकरी नहीं मिली, क्योंकि मेरी उम्र 18 साल नहीं हुई थी। मैंने होटलों में काम किया। लोगों के झूठे बर्तन धोए। इस तरह जिंदगी से जंग लड़ी। तब बहुत दयनीय हालत थी।
मुरारीलाल मुंबई गए और वहां नौकरी के दौरान ही अपनी ग्रेजुएशन पूरी की। फिर बीए एलएलबी, एलएलएम व एमए की। नौ साल मुंबई हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की। इसके बाद दोस्तों के साथ वो कैनेडा चला गया। साल 2003 में वो कैनेडा गए। वहां उन्होंने लॉ फर्म शुरू की। अब उन्होंने एक अन्य मशहूर लॉ फर्म से पार्टनरशिप की है। पिछले एक दशक से, उन्होंने कमजोर वरिष्ठों, दुर्व्यवहार करने वाली महिलाओं और जोखिम वाले युवाओं के लिए काम किया है।
कनाडा में क्रिकेट को दे रहे बढ़ावा-
एक खेल प्रेमी के रूप में, मुरारीलाल विभिन्न खेलों, विशेषकर क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए अच्छी मात्रा में पैसे खर्च करते हैं। वह खेल गतिविधियों का हिस्सा बनते हैं, जो नई प्रतिभाओं आगे लाने और बच्चों और युवाओं को नए अवसर देने का लक्ष्य रखते हैं। विभिन्न क्रिकेट संघों के सदस्य के रूप में, वह कनाडा में क्रिकेट के ब्रांड को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्हें हाल ही में कनाडाई बहुसांस्कृतिक परिषद द्वारा “उत्कृष्ट एशियाई कनाडाई पुरस्कार” से सम्मानित किया गया, जो उनकी सेवा के लिए समर्पित है।
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