कुत्तों के वफादारी और गंध पहचानने की जबरदस्त सुघने की शक्ति के बदौलत ही इन्हें इंडियन आर्मी में रखा जाता है और यह कई बार बहुत ही सहायक भी होते है। लेकिन इनके वफादारी के बदले इनको अंत मे मौत दी जाती है।
जी हां, इंडियन आर्मी के कुत्ते वैसे ही काम करते हैं जैसे की हमारे देश के अन्य सैनिक करते है। लेकिन आपको हम यह बता दे कि भारतीय सेना के काम आने वाले इन स्पेशलिस्ट कुत्तों को पहली बार चोट लगने या काम के न रह जाने के बाद इन्हें गोली मार दी जाती है या फिर इन्हें जहर देकर मार दिया जाते है। लेकिन अब मोदी सरकार ने इस पर रहम दिली दिखाते हुए इस पर रोक लगा दी है।
जी हां , अब पहले की तरह कुत्तो को काम न रह जाने के कारण सेना के कुत्तो को अब मारा नहीं जाएगा बल्कि इन्हें अन्य किसी तरह के काम के प्रयोग में लाया जाएगा।
इस बात की जानकारी मोदी सरकार ने एक आरटीआई के माध्यम से लोगो को दी। इन कुत्तो को इंडियन आर्मी की ओर से खास ट्रेनिंग दी जाती है। इनकी बम सूंघने और खतरा पकड़ लेने की क्षमता बहुत तेज होती है।
भारतीय सेना के पास ज्यादातर लैब्राडॉर, जर्मन शेफर्ड, बेल्जियन शेफर्ड नस्ल के कुत्ते ही पाए जाते हैं। आर्मी में ये कुत्ते रैंक से नहीं नाम और नंबर से पहचाने जाते हैं। इनका इस्तेमाल सेना अपने विस्फोटक खोजी दस्ते में करती है।
आपको बता दे कि इन कुत्तों की बुद्धि की क्षमता इनकी नस्ल पर निर्भर करती है। इसीलिए सारे कुत्ते एक से नहीं होते सभी अलग नस्ल के कुत्तों होते है। जिनकी अपनी एक अलग खासियत होती है। ये कई वहा भी पहुच जाते है, जहा जवानों के लिए भी जा पाना बहुत मुश्किल होता है।
आपको यह बता दे कि यह प्रथा अंग्रेजों के वक्त से ही चला आ रहा है। दरअसल इंडियन आर्मी के लोगों को यह डर लगा रहता है कि कहीं कुत्ते गलत हाथों में न पड़ जाएं। जिसके चलते उनका गलत इस्तेमाल किया जा सकता है।
क्योकि आपको बता दे इन एक्सपर्ट कुत्तों को इंडियन आर्मी के सभी सेफ और खूफिया ठिकानों के बारे में पूरी जानकारी होती है, जिसके लिए वो खतरा भी बन सकते है। लेकिन अब सरकार इनके पूरा ध्यान और रख रखाव करेगी।
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