करीब 6 माह का समय बीत गया और वो शुभ अवसर भी आया जब यमनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट श्रधालुओं के दर्शन हेतु 6 माह के लिए खोल दिए गए इस मौके पर बहुत संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे सबसे पहले यमनोत्री धाम के कपाट खुले और बाद में गुरूवार को भैरव घाटी में विश्राम के बाद गंगा की डोली गंगोत्री पहुंची पूजा अर्चना के बाद 12:15 मिनट पर गंगोत्री धाम के कपाट भी खोले गए
चारों धाम की यात्रा का शुभारंभ यमुनोत्री से किया जाता है। किंवदन्ति के अनुसार कहा जाता है कि यात्रा को बिना किसी बाधा के संपन्न करने के लिए और यमत्रास से मुक्ति पाने के लिए यात्रा का शुभारंभ यमुनोत्री से किया जाता है। यात्रा को आनंदमय एवं निर्विध्न संपन्न करने के लिए शायद चारों धाम की यात्रा का क्रम निर्धारण यमुनोत्री गंगोत्री केदारनाथ एवं बद्रीनाथ रखा गया है।
द्वितीय क्रम मे गंगोत्री धाम की यात्रा का महत्व शायद इस लिए रखा गया है कि देव पूजा मे गंगा जल का विशेष महत्व है गंगाजल सभी देवों को प्रिय है भगवान भोलेनाथ ने तो गंगा को अपने शिर पर धारण कर गंगा को सर्वोपरि स्थान दिया है। गंगा स्नान के बाद शरीर की शुद्धि के साथ ग़ंगाजल लेकर केदार बाबा का अभिषेक करने से संपूर्ण मनोकामना होती है। केदारनाथ का स्थान हिमालय के ज्योतिर्लिंग के रुप मे है। इसके बाद अन्तिम यात्रा के रुप मे सृष्टि के पालक भगवान बद्रीनाथ की यात्रा का महत्व है। ')}