वैसे तो सेना के जवान हमेशा ही हर जगह फ़रिश्ता बनाकर सुख दुःख में देश की जनता के काम आते हैं वो सिर्फ सीमा की सुरक्षा तक ही सीमित नहीं हैं. 2013 की आपदा के समय सेना ने जो बहादुरी दिखाई उसे देश की जनता ने सलाम किया इस सेना के जांबाज जवानों ने वो कर दिखाया जिसके लिए सरकार के सामने बहुत बड़ी चुनौती थी लेकिन उनका भरोसा भी सेनिकों के कंदों पर था उत्तराखंड में हेमकुंड साहिब पैदल मार्ग पर 10 से 12 फुट ऊँची बर्फ की परत जमी थी जिसे काटकर सीमित समय में रास्ता बनाना मुस्किल था
लेकिन यहां सेना के जांबाजों ने यह भी साबित कर दिखाया है कि बुलंद इरादों के आगे चट्टान की तरह मजबूत बर्फ को काटना भी मुश्किल नहीं है। इस मार्ग पर 19 दिन की कड़ी मेहनत के बाद सेना की 18 इंजीनियरिंग कोर के 30 जांबाज जवानों ने पैदल मार्ग को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया है। हेमकुंड साहिब के लिए यह रास्ता 3 किलोमीटर था यहां कई जगह पर दस फीट तक बर्फ जमी हुई थी। अटलाकोटी क्षेत्र में बड़े-बड़े हिमखंडों को काटकर बर्फ के बीच से सेना के जवानों ने पैदल मार्ग बनाने में कामयाबी हासिल की है।
सेना के जवानों ने सीमित संसाधन होने के बावजूद रिकॉर्ड समय में लक्ष्य पूरा किया। क्योंकि इतनी ऊंचाई पर बड़ी मशीनें पहुंचाना संभव नहीं है। ऐसे में सीमित उपकरणों के साथ सेना के जवानों ने स्थानीय लोगों की मदद से चट्टान की तरह जमी बर्फ को काटकर रास्ता तैयार किया। आपको बता दें की 25 मई को हेमकुंड साहिब के कपाट भक्तों के लिए खोले जायेंगे अब यात्री इस पैदल मार्ग से आवाजाही कर सकेंगे। हालांकि घोड़े और खच्चरों को धाम में पहुंचने में कुछ समय लगेगा इस साल पिछले साल के मुकाबले जादा यात्री हेमकुंड साहिब की यात्रा पे आएंगे सरकार की तरफ से पूरी तेयारियां की गयी हैं इस रास्ते के खोले जाने के बाद यहाँ विद्युत व्यवस्था को भी सुचारू किया गया धाम में साफ सफाई के साथ मरमत का काम किया जा रहा है पिछले 6 महीने से हेमकुंड पूरी तरह से बर्फ में ढका हुआ था . ')}