नई दिल्ली : टोक्यो ओलंपिक में भारत ने हॉकी में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। भारत ने 41 साल बाद वापसी करते हुए जर्मनी को 5-4 से मात देकर पूरे देश को गौरवान्वित किया। इससे पहले भारत को आखिरी पदक 1980 में मॉस्को में मिला था, जब वासुदेवन भास्करन की कप्तानी में टीम ने पीला तमगा जीता था। उसके बाद से भारतीय हॉकी टीम के प्रदर्शन में लगातार गिरावट आई और 1984 लॉस एंजेलिस ओलंपिक में पांचवें स्थान पर रहने के बाद वह इससे बेहतर नहीं कर सकी थी। भारत ने आज इस इतिहास को बदल दिया है।
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भारत की और से आज सिमरनजीत सिंह ने 3 गोल दागे। टीम इंडिया की इस मुकाबले में खराब शुरुआत रही लेकिन टीम इंडिया ने जबरदस्त वापसी करते हुए महज 2 मिनट में मैच को 5-4 की बढ़त पर ला दिया। मैच में जर्मनी ने पहले मिनट में ही गोल किया था, जर्मनी की ओर से Timur Oruz ने ये फील्ड गोल किया, जिसके बाद जर्मनी 1-0 से आगे हो गई थी, भारत को 5वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर मिला लेकिन रुपिंदर पाल सिंह गोल करने में नाकाम रहे।
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दूसरे हाफ में भारत ने गजब का खेल दिखाया, क्वार्टर के दूसरे ही मिनट में सिमरनजीत सिंह ने शानदार फील्ड गोल करके भारत को 1-1 की बराबरी दिला दी। लेकिन इसके बाद जर्मनी ने जवाब में दो और गोल दाग दिए। इस दौरान जर्मनी 3-1 से आगे हो गया लेकिन इसके बाद भारत ने न सिर्फ लगातार गोल किए बल्कि जर्मनी के खिलाड़ियों को खासा परेशान भी किया। खेल के 27वें मिनट में भारत को पेनल्टी कॉर्नर मिला, जिसपर हार्दिक सिंह ने रिबाउंड के जरिए गोल करके स्कोर 2-3 कर दिया, दो मिनट बाद भारत को एक और पेनल्टी कॉर्नर मिला, जिसे हरमनप्रीत सिंह ने गोल में तब्दील कर दिया। इस तरह हाफ के खत्म होने पर दोनों ही टीम 3-3 की बराबरी पर पहुंच गई।
तीसरे हाफ में भारत आगे हो गया, रूपिंदर पाल सिंह ने पेनल्टी स्टॉक को भुनाते हुए शानदार गोल कर दिया। फिर खेल के 34वें मिनट में गुरजंत सिंह के शानदार पास को सिमरनजीत सिंह ने गोलपोस्ट में डालकर भारत को 5-3 की बढ़त दिला दी। इसके बाद चौथे क्वाटर में पैनल्टी कॉर्नर पर जर्मनी के विंडफेडर ने गोल दागा और बढ़त को 4-5 कर दिया। भारत के गोलकीपर श्रीजेश की सबसे अधिक तारीफ करनी होगी उन्होंने करीब एक दर्जन पेनाल्टी स्ट्राक्स को रोका और जर्मनी को कोई बढ़त लेने का मौका अंतिम क्षणों में नहीं दिया।