उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से करीब 90 किलोमीटर दूर जौनसार बावर इलाके में ख़ास तरह की शादी होती है, यहाँ दुल्हन बरात लेकर दुल्हे के घर पहुंचती है, वर्षों से चली आ रही यह परंपरा आज भी जारी है। खास बात यह है कि इन शादियों में दहेज का बिल्कुल भी लेन-देन नहीं होता है। क्योंकि यह शादी इसीलिए की जाती है कि शादी में दहेज़ प्रथा को जड़ से उखाड़ फेंका जाये।
इस शादी की विशेषता बस इतनी ही नहीं है अगर कोई शादी या शानो-शौकत दिखाने पर ज्यादा खर्च करता है, तो समाज के लोग उसका विरोध करते हैं। यहां के लोगों को पांडवों का वंशज माना जाता है। यहां के रीति-रिवाज और परंपराएं देश व राज्य के अन्य इलाकों से काफी अलग है। यहां जब बारात निकलती है तो दुल्हन खुद दूल्हे के घर पहुंचती है। पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ नाचते-गाते बाराती दूल्हे के घर पहुंचते हैं।
पुरानी रीती रिवाजों के साथ शादी की सभी रस्में पूरी की जाती है। इसके बाद अगले दिन बारात वापस लौट आती है, जबकि दुल्हन अपने पति के घर में रुकती है। चार से पांच दिन ससुराल में रुकने के बाद दूल्हन अपने दूल्हे के साथ मायके लौटती है। उत्तराखंड में यह इसी इलाके तक सिमित नहीं है, पिछले वर्ष उत्तरकाशी के मोरा गाँव की एक युवती सुलोचना ने इसी तरह की शादी की थी जिसके बाद वो खूब चर्चा का विषय भी रहा, हम आपको सुलोचना की शादी की विडियो भी दिखाने जा रहे हैं, कुछ इसी तरह का माहोल आपको जौनसार बावर में दिख जाएगा, जरूर देखिये वीडियो-
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