उत्तराखंड के अद्भुत और अविश्सनीय इस मन्दिर में आलोकिक शक्तियों का वास है मदिर का नाम है केसरदेवी मंदिर, नासा भी इस मंदिर की चुम्बकीय शक्तियों पर रिसर्च कर चूका है 2 साल तक लगातार रिसर्च के बाद ये निष्कर्ष निकाला गया कि इस मंदिर के भूगर्व क्षेत्र में चुम्कीय पिंड मौजूद हैं रिसर्च में ये भी पाया गया कि ये चुम्किया शक्तियाँ व्यक्ति के दिमाग पर प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालती हैं और यहां पहुँच कर हर व्यक्ति अपने को शकुन की दुनिया में पहुँचाना जैसा महसूस करता है।
केसर माता मन्दिर उत्तराखंड के अल्मोडा जिले के नजदीक एक गांव मे पडता है। इस गांव का नाम माता मन्दिर के नाम से रखा गया है। कहा जाता है कि यहां मां दुर्गा साक्षात प्रकट हुई थीं। यहां डाई हजार साल पहले मां दुर्गा ने शुम्भ-निशुम्भ नाम के दो राक्षसों का बध करने के लिऐ यहां कात्यायनी का रूप धारण किया था ओर इन राक्षसों का सहांर किया था। तब से यह जगह विशेष स्थान रखती है। यहां दुर्गा के आठ रूप मे ऐक मां कात्यायनी की पूजा की जाता है।
केसर माता मन्दिर 1890 इसवी मे स्वामी विवेकानन्द के यहां आने पर जादा चर्चा में आया। इससे भी पहले यहां कई विदेशी भी आऐ ओर उन्होने अपने किताबों मे इस मन्दिर की अदभूत शक्तियों का विमोचन भी किया। कहते हैं स्वामी विवेकानन्द जी यहां आकर अन्तयन्त गहने ध्यान मे चले गये थे। उनका मन इस जगह से कही जाने का ना था उन्होने इस जगह को कई जगह पर स्थान देते हो इसे स्वर्ग की प्रात्ति जैसा कहा। और अनंत ज्ञान प्राप्त किया।
मन्दिर के आस पास का माहोल मन्त्र मूग्ध कर देता है। कहते हैं कि इस क्षेत्र की हवा ओर वातावरण मे चुम्बकीय शक्तियां हैं। यह स्थान ध्यान ओर योग करने लिऐ बहुत ही उचित है। यहां भक्त सैकडों सीढ़ियां चडने के बात के भी थकान महसूस नही करता। मां दुर्गा का अस्थित्व आज भी मन्दिर के अन्दर पहाड पर सिंह रूप में मौजूद है।
माता का यह रूप देखकर लोग धन्य हो जाते हैं। उत्तराखंड को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता यहां मंदिर में माता के अवतार के साक्षात प्रमाण हैं। देवी देवताओं ने देवभूमि को अपना घर चुना। मां गंगा ने इसी प्रवित्र भूमि पर जन्म दिया। उत्तराखंड से ज्ञान मतलब सरस्वती की उत्तपत्ति होती है ओर वो पूरे संसार मे फैल जाती है।
जाहिर है इतनी खूबसूरत ओर अदभूत जगह को देखने के लिऐ विदेशी लोग भी यहां आते हैं। हम भविष्य में उम्मीद करते हैं कि ऐसे अदभूत जगहों को विश्व स्तर पर प्रयटक स्थल के रूप मे विकसित किया जाये। ')}