कोटेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां भगवान शिव की पुजा की जाती है। आपको कुछ तथ्यों के माद्यम से कोटेश्वर महादेव के बारे में बताते हैं। इस से आपको कोटेश्वर महादेव के बारे में जानने में आसानी होगी—
1. मान्यता है कि यहां भस्मासुर नामक राक्षस ने तपस्या की थी। यहीं भस्मासुर ने शिव से कहा कि वे उसे वरदान दें कि जब भी वह किसी के सिर पर अपना हाथ रखे तो वह व्यक्ति भस्म हो जाए।
2. शिव ने भस्मासुर की यह बात मान ली, लेकिन भस्मासुर को यह वरदान देना शिव के लिए भी आफत बन गई थी। शिव भगवान भक्त को बरदान देकर खुद ही संकट में पढ़ गए थे।
3. यह गुफा मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे , तट पर स्थित है। कुछ लोग की मान्यता है भगवान शिव ने केदारनाथ जाते समय, रास्ते में इस गुफा में साधना की थी और यह मूर्ति प्राकृतिक रूप से निर्मित हुई है।
4. महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर यहाँ एक मेले का आयोजन किया जाता है। कई भक्त अगस्त और सितंबर के महीनों में यहाँ प्रार्थना करने आते हैं। जो भक्तिभाव से कोटेश्वर महादेव का दर्शन करता है वो धन्य हो जाता है।
5. इस गुफा वाले मंदिर के आसपास शांतिमय और सम्मोहित कर देने वाला माहौल है। यह शान्ति यहां पहुंचने वाले त्रध्दालुओं के मन को शान्तिमय बना लेते हैं। यहाँ की ख़ूबसूरती भी मन मोह लेती है। नदी की कलकल और सामने की और बड़े बड़े पहाड़ मन मोह लेते हैं।
6. मान्यताओं मे एक मानायता यह भी है कि कौरवों की मृत्यु के बाद जब पांडव मुक्ति का वरदान मांगने के लिए भगवान शिव को खोज रहे थे। तो शिव इसी इसी गुफा मे ध्यानावस्था में रहे थे।
7. गुफा के अन्दर प्राचीन शिवलिंग एंव मुर्तियां है जो कि आज भी हजारों साल से वैसी ही हैं जैसी थी। रुद्रप्रयाग से सिर्फ 3 किमी दुरी पर होने के कारण यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। शिव का हर एक भक्त जीवन में एक बार जरूर यहां आने की इच्छा रखता है।
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