यूं तो गहथ आमतौर पर एक दाल मात्र है, जो पहाड़ की दालों में अपनी विशेष तासीर के कारण खास स्थान रखती है। वैज्ञानिक भाषा में डौली कॉस बाईफ्लोरस नाम वाली यह दाल गुर्दे के रोगियों के लिए अचूक दवा मानी जाती है। उत्तराखंड में 12,319 हेक्टेयर क्षेत्रफल में इसकी खेती की जाती है। गहथ बहुत ही स्वादिस्ट दाल दाल है। पहाड़ में सर्द मौसम में गहथ की दाल लजीज मानी जाती है। प्रोटीन तत्व की अधिकता से यह दाल शरीर को ऊर्जा देती है, साथ ही पथरी के उपचार की औषधि भी है।
स्वाद एवं पौष्टिकता से लबरेज पहाड़ की एक ऐसी दाल, जो औषधीय गुणों से भरपूर तो है ही, इससे अनेक प्रकार के लजीज व्यंजन भी तैयार होते हैं। इसे कुलथ, कुर्थी या कुलथी भी कहा जाता है। बहुगुणी होने के कारण देहरादून, हल्द्वानी, दिल्ली, चंडीगढ़, मुंबई आदि शहरों में रह रहे प्रवासी तो गहथ की दाल को किसी भी कीमत पर खरीदने को तैयार रहते हैं।
आपको बता दें कि गर्म तासीर के कारण ठण्डे मौसम में इसकी दाल गुणकारी मानी जाती है और सर्दियों में ज्यादातर इस्तेमाल होती है। असुविधा के दौर में गहत का इस्तेमाल एक विस्फोटक के रूप में भी हुआ करता था। वर्तमान मे भले ही यह बात अटपटी लगे, मगर जानकारों के अनुसार विष्फोटक यह प्रयोग 19 वीं शताब्दी तक चला। चट्टान तोड़ने में वर्तमान में प्रयुक्त होने वाले डाइनामाइट की जगह इसी का इस्तेमाल होता था। इसका रस मात्र ही यह काम कर जाता था।
गहथ की दाल की खैती यूं तो उत्तराखंड मे बहुत बडे पैमाने पर होती थी लेकिन अब धीरे धीरे इसकी खैती कम हो रही है जबकि यह दाल सभी गुणो से भरपूर है कई बार आपने गांव मे इस दाल की पटुडी बनाकर खाई होगी इसकी पटुडी बनाना बडा ही आसान है इस दाल को भडू जैसे बर्तन मे पकाया जाता है आप चाहे तो इसे उबाल कर भी बडे चाव से खा सकते हैं। पटुडी बनाने के लिऐ उबली दाल को पिसा जाता है मिश्रण को जादा बारीक नही किया जाता। इस मिश्रण मे मसाले नमक डालकर तवे मे रोस्ट करते हैं यह करारी करारी पटुडी नास्ते मे बडे मजेदार होती है।
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कई बार इस मिश्रण से आप पराठे भी बना सकते हैं यह पराठे खाकर आप दूनिया मे किसी भी पराठे का स्वाद भूल जाओगे। भांग की चटणी ओर म़डवे की रोटी से बने पराठे आपके सामने रख दें तो आप एक मिनट भी रूक नही पाओगे क्योंकि आपको इसका टेस्ट पता है।
आपने यह बचपन्न मे खाई होगी आज के समय मे बहुत कम घरों मे यह बनाई जाती है। इसके अलावा आप गहथ के इसी मिश्रण को चांवल के उपर भाप पर भी पका सकते हैं इसका टेस्ट बदल जाऐगा इसके अलावा गहथ की बनी दाल व पीसकर बनाई गई गथवाणी बहुत टेस्टी होती है। इस दाल के रोजाना इस्तेमाल से पथरी और गुर्दे की समस्याओं से पीड़ित लोगों को लाभ पहुंचता है। इतना नहीं यही दाल आपकी पाचन क्रिया को दुरुस्त भी करती है।
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