रुद्रप्रयाग: लोक संस्कृति और पारम्परिक रीति रिवाजों पर आधारित गीतों से अपनी संस्कृति को बचाया जा सकता है। आज के दौर में फूहड़ गीतों से पहाड़ी संस्कृति को नुकसान पहुंच रहा है।
जिले के प्रसिद्ध लोक गायक कुलदीप कप्रवाण युवा कलाकार हैं, जो अपनी संस्कृति को बचाने के प्रयास में लगे हैं और पारम्परिक गीतों के माध्यम से समाज में अच्छा संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं।
यह बात क्षेत्रीय विधायक भरत सिंह चौधरी ने लोक गायक कुलदीप कप्रवाण एवं हेमा नेगी करासी के नये गीत ‘मेरी राजुला’ के विमोचन अवसर पर कही।
गीत के बारे में युवा लोक गायक कुलदीप कप्रवाण ने कहा कि यह गीत सदाबहार गीत है। आज के दौर में कई ऐसे गीत आ रहे हैं, जिन पर विवाद चल रहा है। एचएनके फिल्म के बैनर तले मेरा राजुला एल्बम निकाली गयी है और यह गीत पारम्परिक प्रेम प्रसंग लोक गीत है, जिसमें पति-पत्नी के बीच मार्मिक संवाद दर्शाया गया है।
उन्होंने बताया कि इससे पहले कमला बठिणा, मिजाज्या रे तरू लांच हो चुकी है। भविष्य में नई एलबम ओ रे स्वीटी लांच होगी, जिसमें यह समझाने की कोशिश की गई है कि चाहे व्यक्ति शहरी प्रदेशों में कई भी रहे, मगर अपने मुलक और अपनी परम्परा को याद रखे। आज के समय में युवा शहरों में जाकर अपनी संस्कृति को भूलने लगे हैं।
गीत लॉन्च होने के मौके पर लोक गायिका हेमा नेगी करासी ने कहा कि मेरी राजुला गीत यू-ट्यूब पर अपलोड होने के बाद से काफी प्रसिद्ध होने लगा है। श्रोताओं को यह गीत काफी पसंद आ रहा है। उन्होंने बताया कि लोक विरासत को लेकर भी एक गीत तैयार किया है, जो जल्द ही दर्शकों के बीच प्रस्तुत किया जायेगा।
हेमा नेगी करासी ने बताया कि यह मखमली घाघरी बादी लोकगीत है, इसमें पारम्परिक त्यौहारों को दिखाया गया है। गीत में बताया गया है कि पुराने समय में त्यौहारों में बादी-बादिन लोक गायन से अपनी संस्कृति की पहचान कराते थे।
देखिए इस गीत का वीडियो-
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