कती त होंदी कमाई, सब्जी बिकोण माँ जी मिया जी, सारू कुटुम बसाई, सारी भयात बुलाई, सब्जी बिकोण माँ मिया जी … दुसरे समुदाय पर बना एक गाना जिसने की रिलीज़ होते ही लोगों की जुबान पकड़ ली है। ताजा हालात पर गाना बनाने के माहिर लोकगायक कमल जोशी ने इस बार उत्तराखंड में भारी मात्रा में बसे बाहर से आये दुसरे समुदाय के लोगों को गीत के माध्यम से एक सवाल किया है।
जिसका जवाब सायद ही ना मिले लेकिन ये गीत जरूर उन उत्तराखंडियों के लिए आँख खोलने वाला है, जो रोजगार के लिए शहर शहर भटक रहा है, अपने उत्तराखंड में अपार रोजगार होने के वाबजूद यहाँ युवक ने दुसरे समुदाय और बाहर से आये लोगों को रोजगार करने का मौका दिया है।
दूसरी और उत्तराखंड में इस समुदाय की वजह से लोग अपने आप को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं क्योंकि हाल में हुई घटनाएं निंदनीय हैं। अब सवाल इतने हैं कि उसका जवाब वो समुदाय नहीं दे सकता और उत्तराखंडी भी नहीं।
व्यापार क्षेत्र में उत्तराखंड के लोग सायद ही 20 प्रतिशत होगा, अब आप लगा लो कि कारोबार बाहर से आये समुदाय करेगा तो आपको तो नोकरी ही करनी पढ़ेगी। और ये हर उत्तराखंडी को तब समझ में आएगा जब वो विदेशों से अपनी धरती में रोजगार की तलाश में आएगा।
यहाँ सब्जी बेचने वालों ने पूरा कब्ज़ा कर रखा है सब्जी बेचते बेचते उन्होंने पूरा शहर ही यहां बुला दिया है। हर गली मोहला भर गया है। हर क्षेत्र में दूसरा समुदाय का कब्ज़ा है। इसी विचार और धारणा को लेकर लोकगायक कमल जोशी ने ये गाना बनाया है।
इस गाने में जो भी बोल हैं वो शत प्रतिशत सच है अभी भी सायद उत्तराखंडियों के पास मौका है कि वो अपनी जमीन पर मौका तलाशें, और अपना भविष्य बनाए विदेशों में काम कर आप एक घर तो शहर में बना सकते हैं। लेकिन आपका भविष्य तो सुरक्षित नहीं है ना?
आज ताकत है तो नोकरी करोगे कल के दिन भी तो कुछ करना होगा? अपना रोजगार सोचा होगा? लेकिन उस जगह पर तो बाहर से आये लोगों का कब्ज़ा हो गया है। मुझे लगता इस गीत को आपको जरूर देखना चाहिए=हम सबकी आँख खोल देगा ये गीत………
https://youtu.be/IRe4pJvOt1A ')}