उत्तराखंड में कलाकारों की कोई कमी नहीं है लिहाजा आजकल हमारे कुछ दोस्त youtube पर कुछ हंसी मजाक वाली विडियो लाते रहते हैं। इस से क्या फर्क पढ़ता कि वो विडियो किसपे है और क्या है? बस उसे देखकर मजा आना चाहिए, मन से अजीब तरह की गुदगुदी निकलनी चाहिए गाँव की याद आनी चाहिए।’
कुछ लोग गाँव की विडियो को लोगों के सामने रख पलायन कर चुके लोगों की गाँव से जुडी यादें ताजा कर रहे हैं। हमें पता है कुछ लोगों के लिए गाँव एक याद ही रह गए हैं अब वो ऐसी ही विडियो देख लोग अपने गाँव और पहाड़ को खूब मिस करते हैं।
हम तो कहते हैं देवी देवता की एक्टिंग करके घरवाली या बचों को गढ़वाली ना सिखाई जाये बल्कि उसे प्यार से कहा जाए कि हमें गढ़वाली भाषा का थोडा बहुत ज्ञान होना चाहिए और यदि हमको बोलनी आती है तो उसका इस्तेमाल करने से नहीं कतराना चाहिए।
तो सबसे पहले जो विडियो हम आपको दिखने जा रहे हैं उसके बारे में बता देतें हैं, जैसे कि उत्तराखंड के पलायन एक समस्या बन गयी है और आज लाखों उत्तराखंडी देश विदेशो में अपने परिवार के साथ बस चुके है। इतना ही नहीं वो अपनी मकान और बच्चों की पढ़ाई को लेकर भी अपनी आप को व्यवस्थित कर चुके हैं।
सबसे पहले विडियो बनाने का मकसद सिर्फ इतना है कि लोगों को जो पहाड़ से निकलकर शहर में बस गए और अपनी गढ़वाली भूल गए हैं।, इस विडियो में दो कैरेक्टर हैं एक पति है और सिर्फ एक पत्नी है। पति अपनी पत्नी की हिंदी से परेसान है और उसे वो गढ़वाली सिखाना चाहता है।
लेकिन पत्नी नहीं सीखना चाहती है।, इसके लिए उसने उसे सबक सिखाने के लिए देवी आने की एक्टिंग कर अपनी पत्नी से गढ़वाली भाषा बोलनी और सिखने की कसम खलाता है।
जिसके बाद पत्नी ने घरवाली सिखने और खिचड़ी बनाने की बात को स्वीकार किया साथ ही खिचड़ी के साथ दो चम्मच घी भी पश्वा को मिलेगा। भाई देवता के नाम पर एक्टिंग कर इन्होने तो बीबी को सुधार दिया है घरवाले का मानना है कि मेरी तो सुनती नहीं है देवताओं की तो सुनेगी-
बाकि आप विडियो देख लीजिये-
https://youtu.be/MDKFvZzAxGg ')}