Raibaar UttarakhandRaibaar UttarakhandRaibaar Uttarakhand
  • Home
  • Uttarakhand News
  • Cricket Uttarakhand
  • Health News
  • Jobs
  • Home
  • Uttarakhand News
  • उत्तराखंड पर्यटन
  • उत्तराखंड मौसम
  • चारधाम यात्रा
  • Cricket Uttarakhand
  • राष्ट्रीय समाचार
  • हिलीवुड समाचार
  • Health News
Reading: बीते सवा लाख सालों में इस साल की जुलाई रहेगी सबसे अधिक गर्म
Share
Font ResizerAa
Font ResizerAa
Raibaar UttarakhandRaibaar Uttarakhand
  • Home
  • Uttarakhand News
  • उत्तराखंड पर्यटन
  • चारधाम यात्रा
Search
  • Home
  • Uttarakhand News
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधम सिंह नगर
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • उत्तराखंड पर्यटन
  • उत्तराखंड मौसम
  • चारधाम यात्रा
  • Cricket Uttarakhand
  • राष्ट्रीय समाचार
  • हिलीवुड समाचार
  • Health News
Follow US
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Donate
©2017 Raibaar Uttarakhand News Network. All Rights Reserved.
Raibaar Uttarakhand > Home Default > Uttarakhand News > बीते सवा लाख सालों में इस साल की जुलाई रहेगी सबसे अधिक गर्म
Uttarakhand News

बीते सवा लाख सालों में इस साल की जुलाई रहेगी सबसे अधिक गर्म

Last updated: July 29, 2023 2:59 pm
Debanand pant
Share
14 Min Read
जुलाई
SHARE

जर्मनी की लाइपजिग यू‍नीवर्सिटी में हुए ताज़ा शोध की मानें तो इस साल, बीते लगभग सवा लाख साल बाद जुलाई का महीना सबसे गर्म रहेगा। अब तक साल 2019 की जुलाई सबसे गर्म जुलाई का महीना थी। मगर इस साल, जुलाई का औसत तापमान 2019 के मुक़ाबले 0.2°C बढ़ा गया है और वैज्ञानिकों की मानें तो गर्मी की ऐसी मार के लिए मानव गतिविधियां सीधे तौर पर ज़िम्मेदार हैं। वैज्ञानिकों ने इस बात के लिए भी चेताया कि आने वाले समय में स्थितियाँ और भी गंभीर हो सकती हैं।

Contents
जुलाई ने आग लगाई-भारत पर बदलती जलवायु के प्रभाव-नीति स्तर पर कार्यवाही बेअसर?जुलाई के चरम मौसम घटनाक्रम पर एक नज़रविशेषज्ञों की राय

दरअसल, लाइपजिग यू‍नीवर्सिटी में कार्यरत जलवायु वैज्ञानिक डॉक्‍टर कास्‍टन हौशटाइन द्वारा प्रकाशित एक विश्‍लेषण के मुताबिक एक लाख 20 हजार वर्षों में इस साल जुलाई का महीना सबसे गर्म माह होगा। ऐसा इसलिये है क्‍योंकि मौजूदा औसत तापमान कोयला, तेल और गैस को जलाने तथा प्रदूषण फैलाने वाली अन्‍य इंसानी गतिविधियों के कारण पैदा हालात के मुकाबले करीब डेढ़ डिग्री सेल्सियस ज्‍यादा है।

हाल के वर्षों में वैश्विक तापमान में वृद्धि के बावजूद ला नीना (ठंड) के प्रभाव के कारण दुनिया पर इसका असर अपेक्षाकृत कम ही रहा। अब, जब दुनिया अल नीनो (गर्मी) के दौर में दाखिल हो रही है, तब ग्‍लोबल वार्मिंग के नयी ऊंचाईयों पर पहुंचने के आसार प्रबल हो जाएंगे।

जुलाई ने आग लगाई-

जुलाई के महीने में वैश्विक स्‍तर पर हुई चरम मौसमी घटनाओं और उनके बुरे नतीजों की एक सूची यहां देखी जा सकती है।इस महीने तापमान में डेढ़ डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने का यह मतलब नहीं है कि दुनिया की सरकारें पैरिस समझौते में वैश्विक तापमान में वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लक्ष्‍य को हासिल करने में स्‍थायी रूप से नाकाम हो चुकी हैं। ऐसा इसलिये क्‍योंकि वैश्विक स्‍तर पर औसत वार्मिंग को दीर्घकालिक समय मापदंड पर नापा जाता है। ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी एक महीने में तापमान में पूर्व-औद्योगिक औसत के मुकाबले डेढ़ डिग्री सेल्सियस से ज्‍यादा इजाफा हुआ हो।

इससे पहले वर्ष 2016 और 2020 में भी ऐसा हो चुका है। यह अलग बात है कि उत्‍तरी गोलार्द्ध में गर्मी के दौरान ऐसा पहली बार हुआ है।मगर ख़ास बात ये है कि इस महीने तापमान में हुई वृद्धि सहमत अधिकतम दीर्घकालिक स्तर पर है। यह इस तथ्य को जाहिर करता है कि हालांकि सीमा अभी तक नहीं टूटी है मगर एमिशन में कटौती की कार्रवाई अब भी नाकाफी है और दुनिया पैरिस समझौते के लक्ष्‍य को हासिल करने में नाकाम होने की तरफ बढ़ रही है। अन्‍य जलवायु वैज्ञानिकों ने इस बात के लिये आगाह किया था कि जुलाई अब तक का सबसे गर्म महीना होने वाला है लेकिन डॉक्‍टर हौशटाइन के विश्‍लेषण में इसकी पुष्टि सबसे पहले की गयी थी और इस महीने के औसत तापमान का पूर्वानुमान पेश किया गया था।

भारत पर बदलती जलवायु के प्रभाव-

बारिश की तीव्रता और हीटवेव की आवृत्तियों में बढ़ोत्‍तरी सीधे तौर पर समुद्र और सतह के तापमान में वृद्धि का प्रभाव हैं। बात सीधे तौर पर भारत की करें तो जलवायु परिवर्तन की वजह से पैदा होने वाली वार्मिंग के कारण भारत में मानसून जानलेवा आफत बन गया है और बारिश की तर्ज में बदलाव की वजह से जगह-जगह बाढ़ का खतरा भी बढ़ गया है। गर्मी ज्‍यादा होने की वजह से वातावरण में और अधिक नमी भर जाती है। इसकी वजह से मौसम सम्‍बन्‍धी अप्रत्‍याशित घटनाएं होती हैं, जैसा कि उत्‍तर-पश्चिमी भारत में हुआ भी है। बढ़ती गर्मी की वजह से न सिर्फ मानसून की परिवर्तनशीलता बढ़ी है बल्कि बारिश को लेकर सही पूर्वानुमान लगाना भी पहले से ज्‍यादा मुश्किल हो गया है।

नीति स्तर पर कार्यवाही बेअसर?

जहां एक ओर बदलती जलवायु डराने वाले स्वरूप ले रही है, वहीं इस दिशा में वैश्विक नीति निर्माण में नीति निर्माता सहमति नहीं बना पा रहे हैं। कुछ दिन पहले गोवा में खत्म हुई जी20 की ऊर्जा क्षेत्र की बैठक में जलवायु कार्यवाही को लेकर आम सहमति नहीं बन पाई।
फिलहाल चेन्नई में जी 20 की पर्यावरण और जलवायु से जुड़े वर्किंग ग्रुप की बैठक चल रही है। इसके नतीजे पर सबकी नज़र बनी हुई है। ध्यान रहे, इस बीच अमरीकी सरकार के जलवायु दूत जॉन केरी भी जलवायु कार्यवाही से जुड़ी वार्ताओं के लिए दिल्ली में हैं। साल के अंत में, नवंबर में संयुक्त राष्ट्र की सालाना जलवायु वार्ता दुबई में होनी है। जी 20 बैठकों के नतीजे दुबई में होने वाली जलवायु वार्ता की दशा और दिशा निर्धारित करेंगे।

जुलाई के चरम मौसम घटनाक्रम पर एक नज़र

· 25 जुलाई: कावेरी नदी उफान पर रही और यमुना 13 जुलाई को दिल्‍ली में अब तक सर्वोच्‍च स्‍तर पर पहुंचने के बाद फिर खतरे के निशान से ऊपर रही। हवेरी जिले में बाढ़ के कारण गिरे मकान के मलबे में दबने से तीन साल के एक बच्‍चे की मौत हो गयी। तेलंगाना के वारंगल में सड़कें लबालब हो गयीं। गंगा नदी हरिद्वार में खतरे के निशान से ऊपर रही। फरीदकोट में सैलाब का मंजर था, हिमाचल प्रदेश में एक बांध क्षतिग्रस्‍त हुआ और ओवरफ्लो करने लगा, मकान और फसलें तबाह हो गईं, दो पुल पूरी तरह बह गये हैं, मवेशी मारे गये, कुछ सड़कें भी क्षतिग्रस्‍त हो गईं, बिजली की आपूर्ति व्‍यवस्‍था को नुकसान हुआ, कर्नाटक में चार लोगों की मौत हुई, हैदराबाद में जगह-जगह जलभराव हो गया और उत्‍तराखण्‍ड में भूस्‍खलन से अनेक सड़कों पर रास्‍ता बंद हो गया।

· 24 जुलाई : उत्तर प्रदेश में सात लोगों की मौत, गुजरात में मकान ढहने से दो बच्चों सहित चार की मौत, उडपी में तीन लोग डूबे, हिमाचल प्रदेश में घर नष्ट हो गए और मवेशी मारे गये, महाराष्ट्र में 13,000 हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई, वहीं राज्य में स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए, मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर भूस्खलन हुआ, कर्नाटक में निचले इलाकों में बाढ़ आ गई, राज्य में स्कूल बंद कर दिये गये, सड़क क्षतिग्रस्त होने से कमेरा में तीर्थयात्रा बाधित, केरल में तीन युवाओं की मौत, स्कूल भी हुए बंद, गुजरात में 24 घंटे में नौ लोगों की मौत, उत्तराखंड में भूस्खलन से सड़कें अवरुद्ध हो गईं, दिल्ली में ट्रेनों का मार्ग बदला गया, यमुनोत्री राजमार्ग और अन्य मार्ग अवरुद्ध हो गए, दिल्ली में घर में भरे पानी में डूबने से तीन साल के बच्चे की मौत हो गई।

· 20 जुलाई : सरकार ने बारिश की वजह से उत्पादन में कमी की आशंका के कारण गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की, जिससे घबराकर लोगों ने इसकी खरीदारी शुरू कर दी और कीमतें बढ़ गईं।

· 19 जुलाई : महाराष्‍ट्र में भूस्‍खलन के भारी मलबे में दबकर कम से कम 16 लोगों की मौत हो गयी। स्‍थानीय बचावकर्ताओं का अनुमान है कि इस घटना में 60 से 70 लोगों की मृत्‍यु हुई है।

· 16 जुलाई: कम से कम 15 लोग मारे गये हैं; 11,543 लोगों को निकालकर सुरक्षित स्‍थानों पर भेजा गया और 126,305 लोग प्रभावित हुए (ज्यादातर असम और उत्तर प्रदेश में)

· 12-16 जुलाई: दिल्ली में गैर-जरूरी सरकारी कार्यालय, स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए और लोगों को घर से काम करने की सलाह दी गई।

· 13 जुलाई : पिछले दो हफ्तों के दौरान उत्तर भारत के बड़े हिस्से में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई – खासतौर से हिमाचल प्रदेश में। भारी बारिश और भूस्खलन से लगभग 170 घर ढह गए और अन्य 600 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए। इसके अलावा, जल आपूर्ति में एक चौथाई की गिरावट आई क्योंकि ट्रीटमेंट प्‍लांट्स में पानी भर गया था। टमाटर जैसी फसलें भी प्रभावित हो रही हैं, प्रमुख उत्पादक राज्यों में चरम मौसम की घटनाओं के कारण कीमतों में 400% की वृद्धि हो रही है।

· 12 जुलाई : देश के नौ राज्‍यों में 460 इमारतें आंशिक रूप से या पूरी तरह क्षतिग्रस्‍त हो गयीं।

· 7-10 जुलाई: व्‍यास नदी उफान पर आ गई। इससे नई दिल्ली के उत्तर में आसपास के इलाकों में बाढ़ आ गई, जिससे वाहन तैरने लगे। बाढ़ के कारण कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई।

विशेषज्ञों की राय

डॉ. लॉरेंस वेनराइट, विभागीय व्याख्याता और पाठ्यक्रम निदेशक, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी स्मिथ स्कूल ऑफ एंटरप्राइज एंड द एनवायरनमेंट का मानना है, “यह स्पष्ट है कि हाल के वर्षों में हमने हीटवेव की व्यापकता और गंभीरता देखी है जो असामान्य है। विज्ञान हमें बताता है कि हीटवेव की आवृत्ति, तीव्रता और समय जो हम अभी अनुभव कर रहे हैं वह मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन का प्रत्यक्ष परिणाम है। हम आग से खेल रहे हैं और अब रुकने का समय आ गया है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि मानव स्वास्थ्य पर भी इसका प्रभाव अच्छी तरह से दिखाई देता है। हीटवेव गर्मी से संबंधित बीमारियों का कारण बनती हैं, कई शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों में कई लक्षणों को बढ़ाती हैं, कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव बिगड़ते हैं, अस्पताल में भर्ती होने और भर्ती होने की दर में वृद्धि होती है, और आत्महत्या की दर में वृद्धि होती है। हीटवेव सभी चरम मौसमी घटनाओं में मौत का प्रमुख कारण हैं।

आगे, हार्वर्ड टी.एच. चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में जलवायु, स्वास्थ्य और वैश्विक पर्यावरण केंद्र में जलवायु और मानव स्वास्थ्य फेलो, डॉ. टेस विंकेल, कहते हैं, “एक आपातकालीन चिकित्सक के रूप में, मैं नियमित रूप से अपने रोगियों पर अत्यधिक गर्मी के विनाशकारी प्रभावों का इलाज कर रहा हूं। यह सब कुछ मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन के कारण है। हम जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को समाप्त करके इस वैश्विक घटना को रोक सकते हैं।”

अपना पक्ष रखते हुए भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के जलवायु वैज्ञानिक और आईपीसीसी के प्रमुख लेखक डॉ. रॉक्सी मैथ्यू कोल, कहते हैं, “भारत में मानसून वर्षा के पैटर्न में हाल के दशकों में हुआ बदलाव जलवायु परिवर्तन के कारण ही देखा गया है। भले ही इस साल भारत में औसत वर्षा सामान्य के करीब है, लेकिन मानसून के इन अनियमित पैटर्न का देश में कृषि पर भारी प्रभाव पड़ता है जो अभी भी काफी हद तक वर्षा पर आधारित है। ग्लोबल वार्मिंग की गति अब तेज हो गई है और हमें तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है – क्योंकि ये चरम स्थितियां निकट भविष्य में और तेज हो जाएंगी। स्थानीय (पंचायत) स्तर पर जलवायु कार्रवाई और अनुकूलन वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर शमन के समानांतर चलना चाहिए। मुझे चिंता है कि स्थानीय अनुकूलन पर कम ध्यान दिया जा रहा है।”

अंत में, महेश पलावत, उपाध्यक्ष-मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन, स्काईमेट वेदर, कहते हैं, “जलवायु परिवर्तन हर गुजरते साल के साथ मानसून परिवर्तनशीलता को अगले स्तर तक बढ़ा रहा है। अत्यधिक भारी बारिश की घटनाओं में भारी वृद्धि हुई है, जबकि बारिश के दिनों की संख्या कम हो गई है और शुष्क दिन की अवधि बढ़ गई है। मॉनसून ने देरी से शुरुआत की थी और प्रगति भी धीमी थी, लेकिन यह असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली और अब गुजरात में अत्यधिक बारिश की घटनाओं को नहीं रोक सका।

इस प्रकार, जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम की घटनाओं के बीच संबंध मजबूत हो गया है। महासागरों, विशेष रूप से अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के गर्म होने से भारत, विशेषकर सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों में वातावरण में नमी का प्रवेश बढ़ गया है। इससे हवा की अधिक नमी धारण करने की क्षमता बढ़ गई है, जिससे अत्यधिक भारी वर्षा हुई है। गर्म होती दुनिया में, अत्यधिक बारिश की ये घटनाएँ अधिक बार होंगी, खासकर मानसून के दौरान।”

बच्चों व उनकी भोजन माताओं का स्वस्थ रहना है आवश्यकः-डीएम
प्रत्याशियों में उत्साह, प्रस्तावकों के साथ जमा किए नामांकन
जिला अस्पताल पौड़ी की चिकित्सा प्रबंधन समिति की बैठक में विधायक पोरी के निजी सचिव ने जिलाधिकारी के समक्ष रखे अहम मुद्दे
26 किमी रिस्पना – बिंदाल एलिवेटेड रोड के लिए केंद्र से अनुरोध- सीएम धामी
महेंद्र भट्ट सर्व सम्मति से बने उत्तराखंड के भाजपा अध्यक्ष
TAGGED:अधिक गर्मजुलाई
Share This Article
Facebook Whatsapp Whatsapp Copy Link
Previous Article अल्मोड़ा के पागसा गांव में यह तीन मंजिला पारम्परिक मकान बन रहा आकर्षण का केंद्र
Next Article खुशखबर : उत्तराखंड की मानसी नेगी का वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स के लिए चयन
Leave a Comment Leave a Comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Stay Connected

218kFollowersLike
100FollowersFollow
200FollowersFollow
600SubscribersSubscribe
4.4kFollowersFollow

Latest News

सीएम धामी ने राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास में प्रदेशभर से आए चिकित्सकों को सम्मानित किया
Uttarakhand News
July 1, 2025
जुलाई माह में होंगे 09 निःशुल्क मोतियाबिंद शिविर
Uttarakhand News
July 1, 2025
देहरादून और हरिद्वार में अवैध दवा कारोबारियों पर शिकंजा, अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश, दो आरोपी गिरफ्तार
Uttarakhand News देहरादून हरिद्वार
June 29, 2025
जमरानी बांध और सौंग बांध परियोजना के कार्यों में और तेजी लाई जाए: मुख्यमंत्री धामी
Uttarakhand News
June 27, 2025

खबरें आपके आस पास की

Uttarakhand News

उत्तराखंड का मौसम: कई जिलों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट, जानिए पूरी खबर

June 24, 2025
Uttarakhand Newsदेहरादून

होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया ने लॉन्च की नई 2025 XL750 ट्रांसऐल्प ‘बुकिंग्स शुरू’

June 23, 2025
Uttarakhand News

हलसी गांव में गुलदार ने बकरी चराने गई महिला को बनाया निवाला, क्षेत्र में दहशत का माहौल

June 23, 2025
Uttarakhand Newsदेहरादून

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट की रोक, क्या बोले सचिव पंचायतीराज?

June 23, 2025
Uttarakhand Newsदेहरादून

मुख्यमंत्री के सख्त निर्देश संभावित आपदाओं से बचाव को रहें एडवांस तैयारी

June 23, 2025
Uttarakhand News

गरम होता एशिया: समंदर से पहाड़ तक जलवायु संकट की मार, लेकिन चेतावनी और तैयारी ने बचाई जानें

June 23, 2025
Raibaar UttarakhandRaibaar Uttarakhand
Follow US
©2017 Raibaar Uttarakhand News Network. All Rights Reserved.
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Donate