गले मे बहुत सुन्दर जचने वाला गुलाबन्द अब बहुत कम महिलाएं पहनती हैं। जबकि इसे हर महिला पहनना चाहती है। फिर कभी हम सोचते हैं कि इतना अच्छा आभूषण पहनना भी चाहते हैं लिकिन फिर भी बिलुप्त क्यों हो रहा? इसके कुछ कारण यह हैं।
- पहला कारण यह कि हार दिखने में भारी भरकम लगता है, इसकी सुन्दर गढ़ाई कहीं ना कहीं युवतियों को भा रही है। आजकल की युवतिंया इसे काफी पसंद करती हैं। गले में पहनने से दुल्हन के श्रृंगार पर चार चांद लग जाते हैं।
- दूसरा कारण यह है कि गुलाबंद वजन मे बहुत कम होता है ऐसे में शादी के दिन बेटी को ससुराल और मायके वाले लोग भारी देना पसंद करते है। हांलाकि नाक की नथुली का क्रेज हमारी संस्कृति में लगातार बढता ही जा रहा है अब तो यह विशेष नथुली अन्य भारतीय समुदायों मे भी पंसद की जा रही है।
- गुलाबन्द पहनने मे बडी आरामदायक होती है, लेकिन यह कपड़े पर लगी होने के कारण कुछ समय बाद धोने ओर खराब होने का डर रहता है ओर आजकल चेंज कराना सिलाना इतना समय किसी के पास नही होता।
- कई कारण जिसके चलते गुलाबंद की महता सिमटती चली जा रही है लेकिन गुलाबंद का संस्कृत महत्व आज भी बरकरार है। फैशन शो लेकर सांस्कृतिक कार्यों में खूब देखी पर पहनी जाती है।
- कुछ महिलाएं अभी भी गुलाबन्द पहनने का शोक रखती हैं आजकल किसी विशेष मौके पर कई महिलाओं को गुलाबन्द अफने आप भी देखते होंगे। गुलाबन्द बनाने ओर गढ़ने का अलग ही तरीका है। आजकल ऐसे ज्वैलर्स की भी भारी कमी है जो यह काम आसानी से कर दे।
- खैर शादी में गुलाबंद की जगह हार ने जरूर ले ली है, लेकिन गुलाबंद की आज भी भरपूर मांग है, ज्वेलरी शॉप पर आज भी आसानी से मिल जायेगी। हार खूबसूरत जरूर है लेकिन गुलाबंद जैसा मनमोहक नहीं है।