रेखा धस्माना उनियाल का नाम कोन पहाड़ी नहीं जनता? रेखा धस्माना उनियाल का जन्म रूद्रप्रयाग के जनपद की बचणस्यूं पट्टी के छतोड़ा गाँव में 9 मार्च 1964 में हुआ था। इनकी स्कूल से लेकर कॉलेज की पढ़ाई दिल्ली में हुई लेकिन अपनी संस्कृति से लगातार जुडी रही।
गाँव से दूर होने के बावजूद भी रेखा को अपनी गढ़वाली बोली भाषा से बेहद लगाव था, इसलिए वो भाषा को बचाने की मुहीम में आगे बढ़ी, “दर्जी दिदा मौकू तू आगणी बणे दे मेरी घाघरी पर चमकदार मगजी लगै दे” जैसा हिट और प्यारा गीत रेखा धस्माना उनियाल ने गाया है।
रेखा जी के घर में गढ़वाली बोली-भाषा, रीति-रिवाज का वातावरण था, जिसका असर बचपन से रेखा के जीवन पर पड़ा, रेखा की गायन प्रतिभा को पहचाना उनके चचेरे भाई सुप्रसिद्ध नाटककार, लेखक, संपादक राजेन्द्र धस्माना ने एकल एलबम में ‘‘जुन्याली रात’’ और “मेरा बाजू रंगा रंग विचारी” गीत रातों-रात लोगों की जुबान पर चढ़ गया।
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1988 में रेखा का विवाह राकेश उनियाल के साथ हो गया। वे अपने पति के साथ मुम्बई में चली गई। गीतों का सिलसिला मुम्बई जाकर अब नये स्वरूप में आ गया। गढ़वाली फिल्मों ‘‘बेटी ब्वारी’’, ‘‘बंटवारू’’ और ‘‘मयालू परांण’’ में रेखा ने गायन किया।
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गढ़वाली व कुमाऊँनी में रेखा जी की कई कैसेट व डी0वी0डी0 आ चुकी है। उत्तराखण्ड के साथ-साथ पूरे देश में रेखा के 100 से ज्यादा स्टेज शो हो चुके हैं। आकाशवाणी दिल्ली, लखनऊ, नजीबाबाद, दूरदर्शन दिल्ली, लखनऊ व उत्तराखण्ड व कई टेलीविजन चैनलों पर रेखा ने गीत गाये हैं।
नयु नयु ब्यों च मीठी मीठी छ्यों लगोला, धरती हमरा गढ़वाल की, ना जा ना जा तों भेलू पखाण, हो भीना कसके जानू द्वारहाट कई गानों में अपनी आवाज दे चुकी धस्माना को कई बार सामजिक संस्थाओं और सरकार द्वारा सम्मानित किया जा चूका है।
https://youtu.be/85Slsd2ziuk ')}